Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 4
________________ भारत की खोज हमें उस आदमी पर हंसी आती है की पागल था वह, लेकिन अगर हम भारत की पू री कथा उठाकर देखें तो हम हैरान होंगे। जिन लोगों की बात हम मानते जाते हैं और दांव लगाते जाते हैं हर दांव हारते जाते हैं फिर उन्ही के पास पूछने जाते हैं, फिर दांव हार जाते हैं यह हजारों साल से चल रहा है। भारत अब तक कोई दांव जीता नहीं और भारत कभी दांव जीतेगा भी नहीं क्योंकि वह वनसटीन फिर मिल जाता है उसे दरवाजे पर जिनसे हम पूछते हैं जीवन की समस्याओं के हल, वह लोग गलत हैं क्योंकि वह वे लोग हैं जो कहते हैं जीवन असार है और जिन लोगों ने यह मान रखा हो की जीव न असार है, वह जीवन की समस्याओं के हल कैसे बता सकते हैं। जब जीवन असार है तो समस्याएं भी असार हो गईं और असार समस्याओं के समाधान नहीं खोजने प. डते, उन समस्याओं के समाधान खोजने पड़ते हैं जो सार हो और जब जीवन ही अ सार है तो इसकी कोई समस्या सार्थक नहीं है सब व्यर्थ है । और भारत हजारों वर्ष से जीवन को माया कहने वाले लोग, जीवन को व्यर्थ कहने वाले लोगों से मोक्ष को सत्य कहने वाले लोग और पृथ्वी को असत्य कहने वाले लो गों से अपनी समस्याओं के समाधान मांग रहा है। हर बार दांव हार जाता और फिर हम उन्ही के पास हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं समाधान मांगने के लिए और कोई भी यह नहीं सोचता कि कहीं ऐसा तो नहीं है हमने गलत दरवाजे पर खटखटाना शुरू कीया है। मेरी अपनी दृष्टि में हमारी पहली समस्या यही है की हम गलत जगह समाधान खो ज रहे हैं। जो लोग जीवन को यथार्थ नहीं मानते उनसे जीवन की कोई समस्या का समाधान नहीं हो सकता। जीवन की समस्याओं का समाधान वह लोग कर सकते हैं जो जीवन को यथार्थ मानते हैं जो मानते हैं कि जीवन एक सत्य है जब समस्या अ सत्य है तो समाधान की क्या जरूरत है? एक आदमी को सपने में किसी ने गोली मार दी। वह आदमी जागा और वह आपसे पूछता है, 'मैं अदालत में मुकदमा चला ऊं सपने में एक आदमी ने मुझे गोली मार दी । हम कहेंगे तुम पागल हो, सपना झू ठा है और अदालत में मुकदमा चलाने की कोई भी जरूरत नहीं है। सपना ही झूठ है तो सपने के भीतर जो गोली मारी गई है वह भी झूठी है जिसने गोली मारी वह भी झूठा है, यह सब झूठ है। भारत ने अपनी समस्याओं का समाधान नहीं खोजा है। समस्याओं को इंकार करने की व्यवस्था खोजी है और जो समाज समस्याओं को इंकार कर देता है वह कभी ह ल नहीं कर पाता बल्कि यह भी हो सकता है कि शायद हम हल नहीं कर पाते हैं इसलिए हमने इंकार करने की व्यवस्था खोजी है। शायद हम हल नहीं कर सकते हैं, नहीं कर पाते हैं नहीं सोच पाते हैं कैसे हल करें तो हम कहते यह समस्या ही नहीं है। शतुरमुर्ग रेत में मुंह गड़ा कर खड़ा हो जाता है अगर दुश्मन उस पर हमला करे । रे मुंहगड़ाने से दुश्मन दिखाई नहीं पड़ता । तो शुतुरमुर्ग सोचता है की दुश्मन दि त Page 4 of 150 http://www.oshoworld.com

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