Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 5
________________ भारत की खोज खाई नहीं पडता. वह नहीं है। जो दिखाई नहीं पड़ता वह हो कैसे सकता है? लेकिन शुतुरमुर्ग के सिर खपा लेने से रेत में आंख बंद कर लेने से दुश्मन मिटता नहीं है। बल्कि शुतुरमुर्ग आंख बंद कर लेने से और कमजोर हो जाता है। खुली आंख में बच भी सकता था, भाग भी सकता था, लड़ भी सकता था लेकिन बंद आंख से शुतुरमु र्ग क्या करेगा। दश्मन के हाथ में और भी खिलवाड हो जाता है। लेकिन शतरमर्ग का लोजिक यह है, तर्क यह हैं जो नहीं दिखाई पड़ता वह नहीं है। वह दुश्मन को दू श्मन से पैदा हुई स्थिति को हल करने में नहीं लगता। दुश्मन को भूलने में लग जात । है, आंख बंद कर भूल जाता है की दुश्मन है। भारत अपनी समस्याओं के प्रति एस्केपिस्ट है पलायनवादि है वह कहता है समस्याएं हैं ही नहीं। संसार माया है यह सब झूठ है जो दिखाई पड़ रहा है और सत्य, सत्य वह है जो दिखाई नहीं पड़ रहा है। सत्य वह है जो आकाश में, सत्य वह है जो मृत् यु के बाद है, सत्य परमात्मा है और प्रकृति, प्रकृति बिलकुल असत्य जवकि सच्चाई उल्टी है। प्रकृति परिपूर्ण सत्य है और अगर परमात्मा भी सत्य है तो वह प्रकृति की ही गहराइयों में खोजने से उपलब्ध होगा, प्रकृति के विरोध में खोजने से नहीं। अगर परमात्मा भी सत्य है तो वह इसी जीवन की गहराइयों में मौजूद होगा। इस जीवन की दुश्मनी में किसी आकाश में नहीं। अगर परमात्मा सत्य है तो वह भी मेरे भीतर सत्य होगा और आपके भीतर सत्य होगा, पत्थर में सत्य होगा, पौधे में सत य होगा। उसका सत्य भी जीवन को इंकार करने में सिद्ध नहीं हो सकता। लेकिन ह मने एक होशियारी, एक चालाकी की बात की है और वह चालाकी की बात यह है की जीवन के पूरे के पूरे रूप को हमने कह दिया। असत्य, माया है, इलूजन है औ र जब सारा जीवन एक सपना है तो समस्याओं को हल करने की जरूरत क्या है ? समस्याएं हैं ही नहीं जो हल करता है वह पागल है। हिंदुस्तान में वह लोग बुद्धिमान हैं जो हल नहीं करते और भाग जाते हैं और वह पागल हैं जो जिंदगी में जूझते हैं , हल करते हैं वह नासमझ है वह अज्ञानी है ज्ञानी तो भाग जाता है हिंदुस्तान में ज्ञ नी वह है जो भाग जाता है और अज्ञानी वह जो जूझता है लड़ता है जिंदगी को व दलने की कोशिश करता है। अगर आप कीसी बीमारी का इलाज कर रहे हैं तो पागल हैं नासमझ हैं अज्ञानी है ज्ञानी तो कहता है बीमारी है ही नहीं क्योंकि शरीर ही असत्य है। अगर आप गरीब । को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं तो आप अज्ञानी हैं गरीबी है ही नहीं आत्मा न गरीब होती है न अमीर होती है। वाहर जो दिखाई पड़ रहा है वह सब झूठ है, एक सपना है, न कोई अमीर है, न कोई गरीब है। वह जो भीतर आत्मा है वह न अमीर है न वह गरीब है। इसलिए F हदुस्तान हजारों साल से गरीब है और गरीव रहेगा जब तक उसको वनस्टीन मिलता रहेगा। जब तक इन लोगों से वह जाकर पूछता रहेगा की हम क्या समाधान करें? वह कह देंगे की जिंदगी तो झूठ है इसलिए हिंदुस्तान हजारों वर्ष से गरीव रहने के Page 5 of 150 http://www.oshoworld.com

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