Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Author(s): Rajmal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 9
________________ सम्पादकीय भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, बम्बई, द्वारा आयोजित 'भारत के दिगम्बर जैनतीर्थ, शृंखला में अब तक निम्न प्रकार चार भाग छप चुके हैं : भाग 1- उत्तरप्रदेश के जैन तीर्थ (दिल्ली और पोदनपुर-तक्षशिला सहित) भाग 2-बिहार, बंगाल, उड़ीसा के जैन तीर्थ भाग 3-मध्यप्रदेश के जैन तीर्थ भाग 4-राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के जैन तीर्थ यह पाँचवाँ भाग कर्नाटक के जैन तीर्थों से सम्बन्धित है। भारतवर्ष के सांस्कृतिक इतिहास में कर्नाटक का महत्त्व अद्वितीय और विलक्षण है। कर्नाटक का स्मरण करते ही गोम्मटेश्वर भगवान बाहुबली की विश्व प्रसिद्ध मूर्ति आँखों के आगे उद्भासित हो जाती है । वन्दना के लिए शीश स्वतः झुक जाता है। दृष्टि आकाश का छोर छूने को उठती है। संसार की कला को उदात्त स्तर देने वाली इस मूर्ति का चमत्कारी तक्षण किन शिल्पियों के हाथों हुआ है-कौन था उनका मार्गदर्शक शिल्पी आचार्य जिसकी कल्पना में यह भव्यता रूपाकार हो गयी ? इस भाग में श्रवणबेलगोल के विषय में जो सामग्री दी गयी है वह संक्षिप्त और सारभित है। विस्तार से इसलिए बचा गया है कि भगवान बाहुबली की मूर्ति की प्रतिष्ठापना के एक हजार वर्ष पूरे होने पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का महामस्तकाभिषेक आयोजन 1981 ईस्वी में सम्पन्न हुआ था, उस अवसर पर श्रवणबेलगोल मुजरई संस्थान, तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बई और भारतीय ज्ञानपीठ के संयुक्त प्रयास ने अनेक प्रकार का, अनेक विधाओं में, महत्त्वपूर्ण साहित्य प्रकाशित हुआ है जो ऐतिहासिक, धार्मिक, साहित्यिक और कलापक्ष का प्रामाणिक दस्तावेज-पुंज है, जिसने ज्ञान, भावना और श्रद्धा को सबल बनाया है। संयुक्त तत्वावधान में प्रकाशित-प्रचारित उस साहित्य को इस पाँचवें भाग का सन्दर्भ-अंग मानकर पाठक यदि अध्ययन करेंगे, या कम-से-कम अपने भण्डारों और निजी तथा सार्वजनिक पुस्तकालयों में रखेंगे तो स्वाध्याय में रुचि रखने वाले व्यक्तियों और शोधार्थियों को दुर्लभ सामग्री प्राप्त हो जायेगी। इन प्रकाशनों में से कुछ का उल्लेख कर देना प्रासंगिक होगा। इनके सम्बन्ध में पूरी सूचना भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली, से प्राप्त की जा सकती है। (1) जैन आर्ट एण्ड आर्कीटेक्चर (अंग्रेज़ी, तीन खण्डों में)-सम्पादक : अमलानन्द घोष (2) जैन कला एवं स्थापत्य (हिन्दी अनुवाद, तीन खण्डों में)-संपादक : लक्ष्मीचन्द्र जैन, प्रकाशक ___ भारतीय ज्ञानपीठ (3) पेनोरामा ऑफ जैन आर्ट (टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित) -सम्पादक : डॉ. शिवराम मूर्ति (4) महोत्सव दर्शन (श्रवणबेलगोल मुजरई इंस्टीट्यूट)-नीरज जैन (5) होमेज टु श्रवणबेलगोल-सरयू दोशी

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