Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Author(s): Rajmal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 8
________________ प्रेरणा मूर्त रूप ले और यात्री भाई-बहनों को तीर्थ-वन्दना का पूरा सुफल, आनन्द और ज्ञान प्राप्त हो, तीर्थक्षेत्र कमेटी का इस ग्रन्थमाला के प्रकाशन में यह दृष्टिकोण रहा है।" जैसा कि इस ग्रन्थ के सम्पादकीय वक्तव्य में विस्तार से स्पष्ट किया गया है, दक्षिण भारत में स्थित तीर्थों की प्रकृति और महत्त्व तीर्थंकरों के पंचकल्याणक-परम्परा से भिन्न प्रकार का है । यही कारण है कि ग्रन्थ के संयोजन, लेखन, सम्पादन और सामग्री के संकलन में समय लगा है। ग्रन्थमाला का अन्तिम, छठा भाग तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और केरल में स्थित जैनतीर्थों (पुरातात्विक स्थानों) का परिचय प्रस्तुत करेगा। यह भाग संकलन और लेखन की प्रक्रिया में है। प्रयत्न है कि यह जल्दी ही प्रकाशित हो जाए। तीर्थक्षेत्र कमेटी और भारतीय ज्ञानपीठ के इस संयुक्त प्रयास की सफलता में जिनजिन महानुभावों ने योगदान किया है उन सबके प्रति हम कृतज्ञ हैं। भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी समाज की सर्वमान्य संस्था है, जिसकी सेवाएँ तीर्थों की सुरक्षा, सुप्रबन्ध और उनकी वन्दना की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित हैं। तीर्थ-वन्दना रथ का आयोजन धर्म-चक्र की महिमा का गुणगान है; वह अहिंसा, शान्ति सद्भाव और तीर्थंकरों के लोकहितकारी उपदेशों के प्रचार-प्रसार का महिमामय माध्यम है। अक्षय तृतीया जयचन्द डी. लोहाड़े अशोक कुमार जैन 19 अप्रैल 1988 महामन्त्री अध्यक्ष भारतवर्षीय दिगम्बर जैन, तीर्थक्षेत्र कमेटी, बम्बई

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