________________
जैन-दृष्टि से बिहार, बंगाल और उड़ीसा प्रदेश
बिहार
बिहार प्रदेश श्रमण संस्कृतिका प्रमुख केन्द्र रहा है। बिहार प्रदेशमें चौबीस तीर्थंकरोंमें-से बाईस तीर्थंकरोंने निर्वाण प्राप्त किया; छह तीर्थंकरोंके गर्भ, जन्म, ज्ञान और निर्वाण कल्याणक हुए। राजनैतिक दृष्टिसे इस प्रदेशके राजगृह, पाटलिपुत्र और चम्पा नगरीने शताब्दियों तक देशकी राजनीतिको प्रभावित किया; प्राचीन भारतके इतिहासमें शिशुनाग वंशसे लेकर गुप्तवंश तकके सभी प्रभावशाली सम्राट् इसी प्रदेशमें हुए और उन्होंने यहीं रहकर सारे भारतपर शासन किया । जनतन्त्र प्रणालीके इतिहासमें इसी प्रदेशने सर्वप्रथम विदेह, वैशाली, कपिलवस्तु, कुशीनारा और पावामें जनतन्त्रकी स्थापना करके उसका सफल परीक्षण किया। इतना ही नहीं, दो स्वतन्त्र जनसत्ताक राज्योंकी संघ-रचना और विभिन्न जनसत्ताक राज्योंकी पारस्परिक मैत्रीसन्धि आदिके सर्वप्रथम प्रयोग इसी प्रदेशमें हुए। उत्तरप्रदेशने जगत्को राम और कृष्ण दिये तो बिहार प्रदेशने महावीर और बुद्ध-जैसे महापुरुष । उत्तरप्रदेशकी अयोध्याने भगवान् रामको जन्म दिया तो बिहार प्रदेशकी मिथिलाने भगवती सीताको पैदा किया। वस्तुतः सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिसे विहार और उत्तरप्रदेश एक दूसरेके पूरक रहे हैं। आदि तीर्थंकर ऋषभदेवने उत्तरप्रदेशमें जन्म लिया और यहीं (प्रयागमें) प्रथम धर्म-देशना दी। उनकी अन्तिम धर्म-देशना भी उत्तरप्रदेशमें ही ( कैलासमें ) हुई। इसी प्रकार अन्तिम तीर्थंकर महावीरने बिहार प्रदेशके कुण्डग्राममें जन्म लिया, विपुलाचलपर प्रथम धर्मोपदेश हुआ और अन्तिम धर्मोपदेश पावामें हुआ। जिस प्रकार रामके बिना सीताका व्यक्तित्व अधरा है और सीताके बिना रामका चरित्र अपूर्ण है। और प्रकार धार्मिक परम्पराके एक सिरेपर ऋषभदेव हैं तो उसके दूसरे सिरेपर महावीर। इसी प्रकार सभ्यता और संस्कृतिका निकास उत्तरप्रदेशसे हुआ तो उसका पूर्ण विकास बिहार प्रदेश ने किया। इसलिए सांस्कृतिक जागरणके इतिहासमें दोनों प्रदेश एक दूसरेके लिए अपरिहार्य हैं। तीर्थकरोंकी लीलाभूमि
बिहार प्रदेशको छह तीर्थंकरोंको जन्म देनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ है-शीतलनाथ, वासुपूज्य, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ और महावीर।।
भगवान् शीतलनाथका जन्म भद्दिलपुर (वर्तमान भोंदलगाँव ) में हुआ। भगवान् वासुपूज्य चम्पा ( वर्तमान भागलपुर ) में उत्पन्न हुए। भगवान् मल्लिनाथ और नमिनाथने मिथिलापुरीमें जन्म लिया। भगवान् मुनि सुव्रतनाथकी जन्मभूमि राजगृही थी। तथा वैशालीका कुण्डग्राम, जिसे क्षत्रियकुण्ड भी कहते थे, भगवान् महावीरके जन्मसे पवित्र हुआ था। तोथंकरोंके कल्याणक
उपर्युक्त छह तीर्थंकरोंके गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक बिहार प्रदेशमें ही हुए। भगवान् शीतलनाथके गर्भ और जन्म कल्याणक भद्दिलपुर या भद्रिकापुरीमें मनाये गये तथा इस