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बिहार - बंगाल - उड़ीसा के दिगम्बर जैन तीर्थ
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( ४ ) पटना आकर N. E. R. के जहाजसे पहलेजा घाट उतरकर बस या टैक्सी द्वारा पक्का रोड है।
(५) मुजफ्फरपुर के टूरिस्ट सैक्टरसे सरकारी टूरिस्ट कार सस्तेमें वैशाली घुमानेके लिए मिलती है ।
( ६ ) पहलेजा घाट से हाजीपुर या मुजफ्फरपुर रेल द्वारा जा सकते हैं ।
(७) पटनासे मौकामा ब्रिज होकर टैक्सी या कार द्वारा जा सकते हैं । इस मार्ग से १०० मील पड़ता है ।
( ८ ) वैशाली में बस स्टैण्ड पर ही जैन विहार तथा सरकारी पर्यटक केन्द्रका अतिथि गृह है ।
मिथिलापुरी
कल्याणक क्षेत्र
विदेह देशमें स्थित मिथिलापुरी उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लिनाथ और इक्कीसवें तीर्थंकर मिनाथ की जन्मभूमि है । यहाँ इन दोनों तीर्थंकरोंके गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान कल्या
हुए हैं। इस प्रकार आठ कल्याणकोंकी भूमि होनेके कारण यह स्थान हजारों वर्षोंसे तीर्थक्षेत्र रहा है। दोनों तीर्थंकरोंके इन कल्याणकोंके सम्बन्धमें प्राचीन साहित्य में विस्तृत उल्लेख मिलते हैं । 'तिलोयपणत्ति' में भगवान् मल्लिनाथके सम्बन्ध में निम्नलिखित उल्लेख उपलब्ध होते हैं - मिहिलाए मल्लिजिणो पहवदिए कुंभअक्खिदीसेहिं ।
मग्गसिर सुक्क एक्कादसीए अस्सिणीए संजादो || ४|५४४
अर्थात् मल्लिनाथ जिनेन्द्र मिथिलापुरीमें माता प्रभावती और पिता कुम्भसे मगसिर शुक्ला एकादशीको अश्विनी नक्षत्रमें उत्पन्न हुए ।
मग्गसिर सुद्ध एक्कासिए तह अस्सिणीसु पुव्वण्हे ।
धरदि तवं सालिवणे मल्ली छट्ठेण भत्ते ॥ ४६६२
अर्थात् मल्लि जिनेन्द्रने मगसिर शुक्ला एकादशी के दिन पूर्वाह्न में अश्विनी नक्षत्रके रहते शालिवनमें षष्ठभक्त के साथ तपको धारण किया ।
मल्लिनाथने विवाह नहीं किया, वे आजीवन ब्रह्मचारी रहे। उन्होंने राज्यभार भी नहीं सम्हाला । दीक्षा लेनेके पश्चात् वे केवल छह दिन ही छद्मस्थ अवस्थामें रहे । पश्चात् उन्हें केवलज्ञान हो गया जिसका उल्लेख इस प्रकार मिलता है
फग्गुणकिहे वारसि अस्सिणिरिक्खे मणोहरुज्जाणे ।
अवरण्हे मल्लिजिणे केवलणाणं समुप्पणं ॥ ४६९६
अर्थात् भगवान् मल्लिनाथको फाल्गुन कृष्णा द्वादशीको अपराह्न में अश्विनी नक्षत्रके रहते मनोहर उद्यानमें केवलज्ञान उत्पन्न हुआ ।
उक्त ग्रन्थमें नमिनाथके सम्बन्ध में इस प्रकारका उल्लेख है
महिलापुरिए जादो विजयर्णारिदेण वप्पिलाए य । अस्सिणिरिक्खे आसाढसुक्कदसमी मिसामी || ४|५४६