________________
२०२
भारतके दिगम्बर जैन तीर्थ (२) टटोवा गुम्फा नं. २-गुफा नं. १ के दायीं ओर सीढ़ियोंसे चढ़कर गुफा नं. २ मिलती है। इस गुफाकी लम्बाई साढ़े पन्द्रह फुट और चौड़ाई सात फुट है। इसमें बाहर बरामदा और अन्दर एक प्रकोष्ठ है। इसमें दो स्तम्भ और तीन प्रवेशद्वार बने हुए हैं। प्रवेशद्वारोंके तोरण अलंकृत हैं। बायीं ओर प्रवेश द्वारके ऊपर वृक्षोंके बीच सिंह अंकित है, मध्यमें चार हाथी और दायीं ओर दो वृषभ बने हुए हैं। इनके अतिरिक्त कमल, वृक्ष, हंस, तोते और हरिण युगल बने हुए हैं। तोरणोंके शीर्षपर नन्दीपद दिखाई पड़ते हैं । प्रकोष्ठ भित्तिपर ईसवी पूर्व प्रथम शताब्दीकी वर्णमाला ब्राह्मी लिपिमें अंकित है, कुल ६ पंक्तियाँ हैं । अक्षर इस भाँति पढ़े गये हैं
१.......... घ २..... ण त थ द ध न ३. .... ण त थ द ध न ४..... ण त थ द ध न प फ ब भ....श ५. .... स ह त थ द ध न प फ ब....ष श स ह
६. .... ....थ.... .... सम्भवतः यह वर्णमाला बाल मुनियोंके अभ्यासके लिए अंकित की गयी होगी।
(३) अनन्त गुम्फा-फिर उन्हीं सीढ़ियोंसे उतरकर दर्शक गुफा नं० ३ तक पहुंच जाता है। यह बाईस फुट लम्बी और छह फुट चौड़ी है। बाहर बरामदा है और अन्दर १ प्रकोष्ठ है। बरामदेमें तीन स्तम्भ लगे हुए हैं। स्थापत्य कलाकी दृष्टिसे खण्डगिरिकी गुफाओंमें इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रकोष्ठ के पृष्ठ भागकी दीवालपर ढाई फुट ऊंची एक खड्गासन जिन-प्रतिमा बनी हुई है। इसके दोनों पार्यों में चमरेन्द्र स्थित हैं। उसके शिरोभागपर नन्दीपद, स्वस्तिक और श्रीवत्स ये मंगल चिह्न बने हुए हैं। स्वस्तिक लांछनके कारण यह मूर्ति सुपार्श्वनाथ तीर्थंकरकी प्रतीत होती है। किन्तु मूर्ति काफी घिस चुकी है। मुख कुछ अस्पष्ट है। इसलिए कुछ विद्वानोंको मान्यता है कि मूर्ति घिसी हुई नहीं है, अपितु मूर्तिकार इसे सम्पूर्ण नहीं कर सका होगा।
इसके चार प्रवेश-द्वार हैं। प्रत्येक तोरणके ऊपर श्रीवत्स अथवा नन्दीपद बने हुए हैं। आधार-स्तम्भोंपर वृषभ, सिंह आदि पशुओं और कमलोंके चिह्न बने हुए हैं। एक सिरदलपर एक पुरुष राजसी परिधान पहने, कुण्डल, केयूर, हार आदि आभूषण धारण किये हुए दिखाई पड़ता है। वह सिरपर मुकुट और छत्र धारण किये हुए है। उसके पासमें एक स्त्री मूर्ति है जो चार अश्वोंके रथको चला रही है। उसके दोनों ओर चमर रखे हुए हैं। उनके ऊपर चन्द्र, तारे और सूर्य बने हुए हैं। रथके पहियेके निकट एक व्यक्ति जलका घट लिये खड़ा है।
___ अगले द्वारके सिरदलपर गजलक्ष्मी अंकित है। पद्म सरोवरमें दो गज लक्ष्मीको स्नान करा रहे हैं । दो पक्षी भी वहाँ बैठे दिखाई देते हैं। __चौथे सिरदलपर एक वृक्ष, जो सम्भवतः अशोक वृक्ष है, दिखाई पड़ता है। उसके ऊपर छत्र है । एक पुरुष हाथ जोड़े हुए खड़ा है। एक स्त्री पुष्प अर्पण कर रही है। दो पुरुष सामग्री ला रहे हैं।
इस गुफामें एक छोटा-सा शिलालेख है, जिसमें लिखा है-'दोहद समनाम लेन' अर्थात् दोहद श्रमणोंकी गुफा।
(४) टेंटुली गुम्फा-पहले एक छोटी गुफा मिलती है। उसका कोई नाम नहीं दिया है। फर्श काफी गहरा खुदा पड़ा है। फिर कुछ ऊँचाईपर गुफा नं. ४ मिलती है। इसमें एक प्रकोष्ठ