Book Title: Balbodh Jain Dharm Part 01 Author(s): Dayachand Goyaliya Publisher: Daya Sudhakar Karyalaya View full book textPage 9
________________ विना पूछे किसीकी चीज मत उठायो। ५ चौथा पाठ। इन्द्रियां। इन्द्रिय-उसे कहते हैं जिसके द्वारा जीव पहचाना जाये। वे इन्द्रियां पीच होती है । १-स्पर्शन इन्द्रिय अर्थात् त्वचा ( चमड़ा); २--रसना इन्द्रिय अर्थात् जीमः ३-बामा इन्द्रिय अर्थात् नाक, ४--चक्षु इन्द्रिय अर्थात् आँखा ५-कर्ण इन्द्रिय अर्थात् कान । १. स्पर्शन इन्द्रिय-उसे कहते हैं जिससे छू जाने पर हलके, भारी. रून्वं. जिकने, कड़े. । नर्म, ठंड, गर्मका ज्ञान हो । जसे आग छूनेसे __ गर्म और पानी छूनेसे ठंडा मान्म होता है । २. रसना इन्द्रिय--उसे कहते हैं जिसस खट्ट. मीठ, कडवे, चरपरे और कपायल रस द न्वाद ) का ज्ञान हो । जैसे--पेड़ा चखनेर मीठा, नीमके पत्ते कडुवे मिरच चरपरी और बी सट्टा मालूम होता है। ३. घाणइन्द्रिय--उसे कहते है जिसके द्वाराPage Navigation
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