Book Title: Balbodh Jain Dharm Part 01
Author(s): Dayachand Goyaliya
Publisher: Daya Sudhakar Karyalaya

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Page 8
________________ परनेमें मन लगाओ। གནས་ནས་ས་གནས་གནས་དཀའ་ ཨ་ པ་ ནས ་་ ་ w བུ་ཨ་ནཱ ཞབས་ {་ ་ ཡ जन्म मरणके दुःख उठा रहे हैं। ऐसे जीव त्रम और स्थावर दो तरहके होते हैं। १. त्रस जीव उन्हें कहते हैं जो अपनी इच्छासे चलते फिरते हों, डरते हों भागते हों, वाना ढूंढ़ते हो, अर्थात दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय और पांच इन्द्रिय जीव, जैसे-लट, चिटी. मावी, घोड़ा, बेल, आदमी वगैरह । २. स्थावर जीव-अर्थात् एक इन्द्रिय जीव, उन्हें. कतने है, जो पेदा होते हों, बढ़ते हों, मरते हो पर अपने आप बल फिर न मकते हों। - रवी जमीन), अप (पानी), तेज (आग), चार हरा और वनम्पति (पेड़) वगैरह।

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