Book Title: Ashtaprakari Pooja Kathanak
Author(s): Vijaychandra Kevali
Publisher: Gajendrasinh Raghuvanshi

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Page 5
________________ Shn Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री घट प्रकार पूजा ॥ २ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीमती-अनेक गुण सम्पन्न, शान्तादिपदविभूषित श्री भावश्री जी महाराज का संक्षिप्त जीवन चरित्र भारतवर्ष के पश्चिम देशा (वायव्य कोण में एक प्रसिद्ध जनपद मरुस्थल (मारवाड़) हे इसकी राजधानी जोधपुर है उसके कई प्रान्त ( परगने ) हैं, उनमें से फलौदी नामक एक परगना है जो घोसवालों का मुख्य स्थान है। कई वर्ष पहिले यहां खरतर गाधिपति सुखसागर जी महाराज बिराजते थे (इनके पहाधीश श्रीमान् पूज्यपाद श्री हरिसागर जी महाराज साहब अभी विद्यमान हैं) इनके कई शिव्य साधु और साध्वियां थीं, उनमें प्रधान उद्योत श्री जी थीं। इनकी पहशिष्या लक्ष्मण श्री जी तथा भावश्री जी थी। श्री भावश्री जी का जन्म विक्रम संवत १९१५ में हुआ, आपके पिता का नाम वरडिया मोतीलाल जी और माता का नाम मद्दाबाई था । बाल्यावस्था में आपका नाम मगनबाई प्रसिद्ध था। आपकी अवस्था जब ९ वर्ष की हुई तब वहीं वेद कालूराम जी के सुपुत्र जेठमल जी के साथ माता पिताओं ने विवाह किया, परन्तु पूर्व भव के अशुभ कर्मों ने आपके गृहस्थ सुख को भोग नहीं किया । छः मास भी न बीते कि आपके पतिदेव का स्वर्गवास हो गया । आपने ८ वर्ष तो प्रतिक्रमणादि धर्मपुस्तक सीखने और गुरु सेवा और तीर्थ यात्रा में बिताये । पुनः शुभ कर्मों के उदय से सत्रह वर्ष की यौवनावस्था में विक्रम स० १९३२ तास खुदी एकादशी को शुभ लग्न में चतुर्विध संघ के समक्ष, बड़ी धूम धाम से दीक्षा ग्रहण करलो । " For Private And Personal Use Only ॥ २ 课

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