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उपोद्घात जीवन की सीधी-सादी हर रोज़ होनेवाली घटनाओं में अज्ञानदशा में किस तरह 'कषायों के विस्फोट होते हैं, कैसे संयोगों में होते हैं, उनके गुह्य और दिखनेवाले कारण क्या हैं? उसका उपाय क्या है? और ऐसे कषायों का विस्फोट हो, उस समय किस तरह वीतराग रहा जाए?' उसकी सभी चाबियों का संदर, सरल और आसानी से अंतर में उतर जाए ऐसी समझ सटीक उदाहरणों सहित यहाँ पर प्रकट की गई है।
घटना भले ही बिल्कुल सादी हो, हमने कई बार अनुभव की हो या सुनी हो, लेकिन उस घटना में होनेवाली आंतरिक सूक्ष्म प्रक्रियाएँ खुद पर और सामनेवाले पर, उन सबका सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्लेषण 'ज्ञानीपुरुष' ने जिस तरह से किया है, वैसा कहीं भी या कभी भी नहीं देखा गया होगा।
अरे, खुद उनसे प्रत्यक्ष सुननेवाले को भी अलग-अलग जगहों पर सूचित किए गए रहस्य दृष्टिगोचर होकर फिर विस्मृत हो जाते हैं। उन्हें यहाँ पर एकत्रित करके संकलित करने से, हर एंगल से वह व्यू पोइन्ट स्पष्ट होता है, जिसका एनलिसिस सुज्ञ पाठक को उनके जीवन की हर एक घटना में प्रकाशस्तंभ जैसा बन जाएगा!
१. जागृति, जंजाली जीवन में... रात-दिन इस संसार की मार खाते हैं, फिर भी संसार मीठा लगता है, यह भी आश्चर्य ही है न! मार खाता है और भूल जाता है, उसका कारण है मोह! मोह घेर लेता है! डिलिवरी के समय स्त्रियों को ज़बरदस्त वैराग्य आ जाता है, लेकिन बालक को देखते ही सबकुछ भूल जाती है और दूसरी संतान का इंतज़ार करती है! माया की मार अर्थात् खुद के स्वरूप की अज्ञानता के कारण मोल लिया हुआ संसार, और उसकी खाते हैं मार! सेल्सटैक्स, इन्कमटैक्स, किराया, ब्याज, बीवी-बच्चों के खर्चे, ये सब तलवारें सिर पर लटकी रहती हैं, रात-दिन! फिर भी अक्रम विज्ञान इन सबसे निरंतर निर्लेप रखकर परमानंद में रखता है। स्वरूपज्ञान से ही जंजाल छूट सकती है! जीवन में 'क्या हितकारी है और क्या नहीं' उसका सार निकालना आना चाहिए।
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