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13. मदनविलास छन्द लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में आठ मात्राएँ होती हैं व चरण के अन्त में गुरु-गुरु (55) होते हैं। उदाहरणSIL 55 51155 चंदण-लित्तं, पंडुरगत्तं।
। ।ऽऽ ।।।। 55 खंधे तिसुत्तं, कयसिर छत्तं।
सुदंसणचरिउ 4.1.6 अर्थ- (कपिल) चन्दन से लिप्त, गौरवर्ण, कन्धे पर त्रिसूत्र तथा सिर पर छत्र धारण किए (था)। 14. जम्भेटिया छन्द लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में नौ मात्राएँ होती हैं व चरण के अन्त में रगण (ऽ । ऽ) आता है। उदाहरणरगण
रगण ऽ ।। ऽ । ऽ ऽ।। ऽ । ऽ . सेसवलीलिया, कीलणसीलिया ।
रगण ।। ऽ ऽ । ऽ ऽ । ऽ।ऽ पडुणा दाविया, केण ण भाविया ।
महापुराण 4.4.1-2 अर्थ- शैशव की क्रीडाशील जो लीलाएँ प्रभु ने दिखायीं, वे किसे अच्छी नहीं लगीं? (10)
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
रगण
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