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।ऽ ऽ ।ऽऽ। 55। 55 भडो को वि वावल्ल - भल्लेहँ भिण्णो, 1 2 3 4 5678910 11 12 यगण यगण यगण यगण ।ऽ ऽ । ऽऽ।ऽ । 55 भडो को वि कप्पदुमो जेम छिण्णो। 1 2 3 4 5 6 7 8 910 1112
पउमचरिउ 40.3.2-3 अर्थ - कोई सुभट अपने हाथी, मन्त्री, चिह्न और छत्र के साथ छिन्न-शरीर दिखाई दिया। कोई योद्धा बावल्ल और भालों से विदीर्ण हो गया। कोई भट कल्पवृक्ष की तरह छिन्न हो गया। 23. प्रमाणिका छन्द लक्षण - इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में आठ वर्ण क्रमशः जगण (151), रगण ( 5। 5), लघु (।), गुरु (5) आते हैं। उदाहरणजगण रगण ल.ग. जगण रगण ल.ग. । 5 ।ऽ ।ऽ।ऽ ।ऽ। ऽ । ऽ।ऽ पहन्तरे भयङ्करो, झसाल - छिण्ण - कक्करो । 12345678 12 3 4 5 678 जगण रगण ल.ग. जगण रगण ल.ग. । । 5 515 ।ऽ ।ऽ ।ऽ।ऽ वलोव्व सिङ्ग-दीहरो, णियच्छिओ महीहरो । 123 4 5 678 1 2 3 4 5 6 7 8
पउमचरिउ 32. 3. 1-2 अर्थ - पथ के भीतर उन्होंने भयंकर झसालों से छिन्न और कठोर महीधर देखा जो बैल के समान शृंगों (सींगों और शिखरों) से दीर्घ था।
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ . (छंद एवं अलंकार)
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