Book Title: Apbhramsa Abhyas Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 63
________________ 9. अर्थ - किसने सुमेरु पर्वत को चलायमान किया है? किस मूर्ख ने कालानल को प्रज्ज्वलित किया है? कौन ऐसा है जो सूर्य के रथ को रोक? और कौन है वह जो इस मनानन्ददायी विमान को रोके? 10. पहुत्तो अणंतो, पुलिंदेण जित्तो । भएणं पणट्ठो, णिओ ताम रुट्ठो । । केण णिव्वाणसेलो समुच्चालिओ, केण मूढेण कालाणलो जालिओ । कोणिरुंभेइ चंडसुणो संदणं, को विमाणं पि एयं मणानंदणं ।। सुदंसणचरिउ 11.14.9-10 सुदंसणचरिउ 10.5.6-7 अर्थ - अनंत सेनापति वहाँ पहुँचा । किन्तु पुलिन्द ने उसे जीत डाला। अनंत भयभीत होकर भाग आया। तब राजा रुष्ट हुआ । (ख) निम्नलिखित पद्याशों के मात्राएँ लगाकर इनमें प्रयुक्त छन्दों के लक्षण व नाम बताइए - 1. 2. पउमचरिउ 59.4.6 अर्थ - किसी एक ने कहा- मैं तब तक अपनी आँखों में अञ्जन नहीं लगाऊँगा जब तक कि सुरवधुओं के नेत्रों का रंजन नहीं करता । (56) को वि भणइ उ णयणइँ अञ्जमि । जाम्व व सुरवहु-जण- मणु रञ्जमि ।। जं जाणियउ अक्खउ रणे रस - सहिउ । रहु सारहिण हणुवह सम्मुहु वाहिउ ।। ढुक्कन्तु रणे तेण वि दिट्टु केहउ । रयणायरेण गङ्गा - वाहु जेहउ ।। Jain Education International For Personal & Private Use Only पउमचरिउ 52.3.1 अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार) www.jainelibrary.org

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