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तभी कोई एक पुण्यवान देव आकाश से वहाँ आ उतरा। 19. स्रग्विणी छन्द लक्षण - इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में 4 रगण (ऽ । ऽ) और बारह वर्ण होते हैं। उदाहरण
रगण रगण रगण रगण ऽ । ऽऽ। ऽऽ। ऽऽ । ऽ के वि रोमंच - कंचेण संजुत्तया, 1 2 3 4 5 6 7 8 9101112
रगण रगण रगण रगण ऽ । ऽऽ। ऽऽ। ऽऽ । ऽ के वि सण्णाह - संबद्ध - संगत्तया । 1 2 3 4 5 6 7 8 9101112
रगण रगण रगण रगण s. i 551 5515 515 के वि संगाम - भूमीरसे रत्तया, 1 2 3 4 5 6789 101112 रगण रगण रगण रगण SIS 51 551 5515 सग्गिणी - छंद - मग्गेण संपत्तया। 1 2 3 4 5 678 9101112
करकंडचरिउ 3.14. 7-8 अर्थ- कितने ही रोमांचरूपी कंचुक से संयुक्त थे और कितने ही अपने गात्र पर सन्नाह बांधकर तैयार थे। कितने ही संग्रामभूमिरस से रत होकर स्वर्ग पाने के
करत
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अपश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
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