Book Title: Apbhramsa Abhyas Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 46
________________ रहित था, जो जिनेन्द्र शासन की तरह सावय (श्रावक और श्वापद) से सहित था, जो महायुद्ध के प्रांगण की तरह सवासन (माँस और वृक्षविशेष) से संयुक्त था, जो सिंह के कंधो की तरह केशर (वृक्षविशेष और अयाल) सहित था। 8.णिय मंदिरहो विणिग्गय जाणइ, णं हिमवंतहो गंग महाणइ। - पउमचरिउ 23.6.3 अर्थ - सीता राम के साथ जाने के लिए अपने भवन से क्या निकली मानो हिमवंत से गंगा नदी ही निकली हो। 9.ससुरासुरकयजम्माहिसेउ, संसारसमुद्दुत्तारसेउ। ___ - जंबूसामिचरिउ 1.1.4 अर्थ - देवताओं सहित असुरों द्वारा जिनका जन्माभिषेक किया गया और जो संसाररूपी समुद्र से पार उतारने के लिए सेतुरूप है। 10. सो जयउ जस्स जम्माहिसेयपय-पूरपंडुरिजंतो। जणियहिमसिहरिसंको कणयगिरी राइओ तइया॥ - जंबूसामिचरिउ 1. मंगलाचरण 3-4 अर्थ - उन (महावीर भगवान) की जय हो जिनके जन्माभिषेक निमित्तक जलके पूर से पांडुवर्ण होता हुआ कनकाचल (सुवर्णगिरी मेरु) हिमगिरी की शंका उत्पन्न करता हुआ शोभायमान हुआ। (39) अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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