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उदाहरण -
कहिँ वि कवि अरुणकरचरण किय पयडए । भमरगण मिलिवि तहिं णलिणमण णिवडए ।
- सुदंसणचरिउ 7.18.5-6 अर्थ - कहीं कोई अपने लाल हाथ और पैर प्रकट करने लगी और भ्रमरगण उन्हें कमल समझकर एकत्र हो पड़ने लगे ।
व्याख्या - उपर्युक्त पद्यांश में सुन्दरियों के हाथों व पैरों को देखकर भौरे भ्रमवश उन्हें कमल समझ रहे हैं अतः यहाँ भ्रान्तिमान अलंकार है ।
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अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
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