Book Title: Anubhav ka Utpal
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ८४ एक साथ नहीं प्रचार भोग और त्याग यह कैसा स्वाद इस प्रकार ---- बहु-निष्ठा शांति और आकांक्षा अहिंसा, अपरिग्रह और अध्यात्म शांति कैसे मिले प्रेम हो, विकार नहीं प्रिय कौन ब्रह्मचर्य की फलश्रुति प्रेम किससे ? प्रेम कैसे प्रेम के प्रतीक भविष्य दर्शन ब्रह्मचर्य और अहिंसा आत्मा और परमात्मा शेष क्या है ? इच्छा और सुख मैंने क्या किया ? सुन्दर बनूं न्याय की भीख चाह और राह ८५ परख ८६ उन्मुखता किधर ८७ स्मृति और विस्मृति ८८ जीवन के पीछे ८९ ज्योतिर्मय ९० मृत्यु महोत्सव ९१ मूल्यांकन ९२ काम्य और अकाम्य Jain Education International For Private & Personal Use Only ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ 599 9 9 3 3 5 5 5 2 ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ८४ ८५ ८६ ८७ ८८ ८९ ९० ९१ ९२ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 204