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ग्रन्थ, पत्रसख्या, आकार (प्रतिकी लम्बाई-चौडाई), भाषा, अधिक लगती है। यह महान् . कार्य श्री डा कस्तूरचन्द जी लेखनकाल और प्राप्तिम्थान प्रादि की यथासम्भव सूचना कासलीवाल एम ए, पी-एच. डी और पं. अनूपचन्द की गई है । इन पाण्डुलिपियो मे कितने ही ऐसे गूट के भी जी न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न के द्वारा सम्पन्न हुया है । इसके है, जिनमे से किसी-किसी मे तो १८० तक छोटी मोटी लिये वे अतिशय अभिनन्दनीय है। साथ ही प्रबन्धकरिणी रचनाये - जैसे पूजा, स्तुति एवं कथाये अादि -- पायी जाती कमेटी श्री दि. जैन अ. क्षेत्र श्रीमहावीरजी व उसके है (जैसे-दि० जन अग्रवाल मन्दिर उदयपुर का गुटका नं० मुयोग्य मत्री श्री सोहनलाल जी सौगाणी को भी धन्यवाद ३, पृ ११३४-४१) । ग्रन्थ की प्रस्तावना मे कुछ शास्त्र- देना चाहिये, जिनकी लगन व प्रेरणा से यह महत्त्वपूर्ण भण्डारो के परिचय के माथ उनमे उपलब्ध हुई अनेक कार्य सम्पन्न हो सका है। यह अन्य सम्पन्न सार्वजनिक ऐसी कृतियो की भी सूचना की गई है, जो प्राय. अभी तक धामिक मस्थानो के लिए अनुकरणीय है । ग्रन्य की छपाई परिचय मे नही पाई थी । ग्रन्थसूची के अन्त मे ग्रन्थानुक्र- ग्रादि भी ठीक है। अन्य को जिल्द भारी हो गई है व मणिका, ग्रन्थ एव ग्रन्थकार तथा ग्राम एवं नगर नामावलि; उसके टूट कर विवर जाने की आशका है। यदि इसे २ इन महत्त्वपूर्ण परिशिष्टो को भी जोड दिया गया है। इससे जिल्दो मे विभक्त कर दिया गया होता तो ठीक रहता, ग्रन्थ का महत्त्व बढ़ गया है व शोध-वोज करने वाले विद्वानो भले ही मूल्य प्रत्येक जिल्द का २५-२५) रुपया रख को बहुत मुविधा हो गई है ।
दिया जाता। मे थममाध्य कार्यों के सम्पन्न करने मे ममय व शक्ति
- बालचन्द्र शास्त्री
निर्वाण महोत्सव के अवसर पर सार्वजनिक, उपयोग के साहित्य का निर्माण
राष्ट्रपति श्री वी० वी० गिरि की मरक्षकता तथा प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाधी की अध्यक्षता मे गठित गष्ट्रीय समिति ने भगवान महावीर के २५गौवें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर स्वीकृत कार्यक्रम के अनुसार माहित्य प्रकाशन का दायित्व जिम साहित्य निर्माण समिति को मौपा है उसका कार्यान्वयन समस्त जैन समाज की प्रतिनिधि मम्था भगवान महावीर २५००वा निर्वाण महोत्सव महाममिति के माध्यम से हो रहा है । इस कार्यक्रम के अन्तर्गत एक योजना यह है कि जैन धर्म, दर्शन, कला, माहित्य, प्राचार नीति आदि विषयों पर विभिन्न भाषामो में लघु-पुस्तिकाए प्रकाशित की जाये। यह कार्यक्रम सम्बन्धित समिति के विचाराधीन है। प्रावश्यक है कि अब तक इन विषयो पर जो पुस्तिकाए प्रकाशित हुई है उन्हे भी सामने रखा जाय और विद्वानों तथा लेखकों का चनाव अतिम रूप से विषयो के निर्वाचन के उपरान्त किया जाये।
अन समाज की सभी प्रकाशन सम्थानो, विद्वान लेखको से अनुरोध है कि इस प्रकार की जो पुस्तिकाएं उनक द्वारा या उनके माध्यम से प्रकाशित हुई है उनकी एक-एक प्रति निम्नलिखित पते पर भेज दें।
यदि इन प्रकार की कोई पातलिपिया रही हो तो उनके विषय में भी कृपया सूचना भेजी जाये कि किस विषय की पुस्तक कहा से , कब तक प्रकाशित होने की आशा है । यदि इस प्रकार की पूर्व प्रकाशित पुस्तिकाएं आपके पाम उपलब्ध नहीं भी हो, किन्तु जानकारी हो कि अमक स्थान से अमुक लेखक की पुस्तिका प्रकाशित हुई है तो भी लिखने की कृपा करे ताकि उन्हें उपलब्ध किया जा सके। अगस्त के द्वितीय सप्ताह तक यदि यह सामग्री और मूचनाए भेजी जा मके तो मुविधा होगी। - भारतीय ज्ञानपीठ )
लक्ष्मीचन्द्र जैन बी ४५/४७, कनाट प्लेस
संयोजक, साहित्य निर्माण समिति नई दिल्ली-१
भ० म० २५००वा निर्माण महोत्सव