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कौशाम्बी
भगवान महावीर के समय में शतानीक वत्स देश का ललित कलापों में उसकी बड़ी रुचि थी। उसके यहाँ राजा था। वैशाली गणतंत्र के अधिपति चेटक की सात एक कुशल चित्रकार था। किसी कारणवश राजा ने उसे पुत्रियाँ थी जिनमे से ज्येष्ठा और चन्दना तो प्रवजित हो निकाल दिया। इससे चित्रकार के मन में प्रतिशोध की गई। शेष पाँच पुत्रियो मे बडी पुत्री प्रियकारिणी-जिन्हे भावना जागृत हुई। वह सीधा अवन्ती नरेश चण्डप्रद्योत त्रिशला भी कहा जाता है--कुण्डलपुर नरेश महाराज के राजदरवार में पहुंचा और उसे मृगावती रानी का चित्र सिद्धार्थ के साथ व्याही गई। मृगावती वत्सनरेश चन्द्रवंशी दिखाया। प्रद्योत चित्र देखते ही मृगावती के ऊपर मोहित सहस्रानीक के पुत्र शतानीक के साथ, सुप्रभा दशार्ण देश हो गया। उसने शतानीक के पास सन्देश भेजा कि या के हेमकच्छ नरेश सूर्यवशी दशरथ के साथ, प्रभावती कच्छ तो महारानी मृगावती को मुझे दे दो या फिर युद्ध के देश की रोरुका नगरी के राजा उदयन के साथ, पांचवी लिए तैयार हो जानो। वीर शतानीक ने युद्ध पसन्द पत्री चेलिनी मगध नरेश शिशुनागवंशी श्रेणिक के साथ किया। अवन्ती नरेश ने प्रबल वेग से कौशाम्बी पर विवाही गई।
आक्रमण कर दिया। किन्तु शतानीक की इस युद्ध के इस प्रकार वत्सराज शतानीक सासारिक सम्बन्ध के दौरान–सम्भवतः विशुचिका रोग से मृत्यु हो गई। कारण महावीर भगवान के मौसा थे और मृगावती उनकी प्रद्योत उस समय वापिस लौट गया। मौसी थी। इस प्रकार उनका इस राजवंश से रक्त सबध मृगावती ने राज्य का शासन-सूत्र सम्भाल लिया। था । किन्तु इससे अधिक उनके पतित पावन व्यक्तित्व के उदयन की अवस्था उस समय ६-७ वर्ष की थी। रानी कारण यह राजवश उनका अनन्य भक्त था ।
जानती थी कि प्रद्योत से युद्ध अवश्यम्भावी है । अतः वह वत्स देश के राजाओं के सम्बन्ध में कहा जाता है कि युद्ध की तैयारी करती रही। उसने एक मजबूत किला वे शिक्षित और सुसस्कृत थे। इनकी राजवशावली इस बनवाया। प्रद्योत ने मृगावती के पास पुनः विवाह का प्रकार बताई जाती है -
प्रस्ताव भेजा। मृगावती ने चतुराई से उदयन के राज्या१. मुतीर्थ
रोहण तक का समय मांग लिया और वह किले-खाइयो २. रच
और युद्ध की अन्य तैयारियो मे जुटी रही । १३-१४ वर्ष ३. चित्राक्ष
की अवस्था में उदयन का राज्याभिषेक हुआ। प्रद्योत ने ४. सुग्वीलाल-सहस्रानीक
पुनः कौशाम्बी पर आक्रमण कर दिया। भयानक युद्ध ५. परंतप शतानीक और जयंती पुत्री
हुआ । अन्त मे समझौता हुआ । प्रद्योत के हाथों से उदयन ६. उदयन और एक पुत्री
का राज्याभिषेक हुआ, मृगावती भगवान महावीर के पास ७. मेधाबिन अथवा मणिप्रभ
दीक्षित हो गई। ८. दण्डपाणि
उदयन भी भगवान महावीर के समकालीन था । ९.क्षेमक ।
वह अपने समय में सारे देश में रूप और गुणों मे सारे शतानीक की बहिन जयन्ती कट्टर जैन धर्मानुयायी राजकुमारों की ईर्ष्या और कुमारियों की कामना का एक थी और महावीर' की भक्त थी। शतानीक वड़ा वीर मात्र प्राधार बन गया था। यह कहा जाता है कि उस
उसने एक बार चम्पानगरा पर आक्रमण करक उस समय की प्रमुख पांच महानगरियों में उदयन के चित्र जीत लिया और उसे अपने राज्य मे मिला लिया।
राजप्रासादों से लेकर नागरिकों और वारांगनामों के
सायं कक्ष में सब कही सम्मोहन के साधन बने हुए थे। 8. The Journel of the Orissa Bihar Re
वह वीणावादन में प्रत्यन्त निपुण था। जब वह अपनी _search Society. Vol.-I २. भरतेश्वर-बाहुबली वृत्ति, (तृतीय संस्करण) पृष्ठ
प्रसिद्ध घोषवती वीणा के तारों पर उँगलियाँ चलाता था ३४१-२ ।
३. भरतेश्वर बाहुबली वृत्ति, पृष्ठ ३२३-५ ।