Book Title: Anchalgacchiya Pratishtha Lekho Part 01 and 02
Author(s): Parshwa
Publisher: Akhil Bharat Anchalgaccha Vidhipaksha Shwetambar Jain Sangh

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Page 190
________________ १४३ (६८८) ॥ ० ॥ संवत १५५५ वर्षे माघ वदि १० सोमे श्रीश्रीवंशे सा० गांगा भार्या सचू सुत साह श्रोपाल भार्या सिरीयादे सुश्राविकया स्वश्रेयोथे। श्री अंचलगच्छेश श्री सिद्धान्तसागरसूरीणामुपदेशेन श्री कुंथुनाथविंबं का० प्रतिष्ठि० श्री संघेन । संवत १५५५ व० पो० शु० २ सोमे श्री अमरकोटपुरीय श्री ओशवंशे सा० राजा भा० राजलदे पुत्र पव्वा सुश्राध्धेन भा० आसु प्रमुख समस्त कुटुंब सहितेन स्वथेयोथै श्रीमदंचलगच्छेश श्री सिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्री संभवनाथविंबं कारितं श्री संघेन (६९०) ___ स्वस्तिश्रीः॥ श्री मंडप महादुर्गे ॥ संवत १५५५ वर्षे ज्येष्ठ शुदि ३ सोमे श्रीवत्स सोनी श्री जिणदत्त पुत्री श्राविका गुराई वृद्ध पुत्री श्रा० पद्माई कुटुंब सहितेन स्वश्रेयसे ॥ श्री अंचलगच्छेश श्री सिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन ॥ (६९१) ॥ ६०॥ संवत १५५६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ८ शुक्रे श्रीश्रीवंशे मं० महिराज भा० लंगी पु० मं० नारद सुश्रावकेण। पूरी वृद्ध भ्रातृ मं० महीया भा० रंगी पुत्र मं० जिणदास प्रमुख समस्त कुटुंब सहितेन स्वश्रेयोर्थ श्री अंचलगच्छेश श्री सिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्री शांतिनाथ मूलनायक चतुर्विशतिपट्ट का० प्र० श्री संघेन श्री गोमडलनगरे । (६९२ ) संवत् १५५६ वर्षे ज्येष्ठ शुदि ८ शुक्रे श्री ओपसवंशे दो० नंदा भा० नायकदे पुत्र दो० आंबा सुश्रावकेण भा० हेमाई पुत्र दो० कान्हा लघु भ्रातृ वर्धमान सहितेन स्वश्रेयसे श्री अंचलगच्छेशः श्री सिद्धांतसागरसूरीश्वराणामुपदेशेन श्री वासुपूज्यबिंबं कारितं प्र० श्री संघेन। श्री अमदाबादे । (६९३ ) ।। सं० १५५७ वर्षे फागुण सुदि ८ सोमे वीरवंशे । सं० नुला भा० पईआई पु० सं० कुझा सुश्रावकेण भा० देऊ पुत्र सं० थावर पुत्र सं० सोमा पुत्र सं० तेजा पुत्र सं० वस्ता सहितेन पुत्र वेला पुण्यार्थ श्री अंचलगच्छे श्रीश्रीश्री सिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्री धर्मनाथविंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन पूजक० शुभं भवतु ॥ (१८८) Gनना श्री मतिनाथ-निसयनी धातुभूतिनो म. (૬૮૯) ઉદયપુરના જિનાલયની ધાતુમતિને લેખ. (૬૯૦) માંડવગઢના જિનાલયની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (९८१) मानेरना श्री शतिनाथ-नसयनी पातुभूतिना भ. (૬૨) ભાઉખાગ્રામમારવાડના જિનાલયની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (९८3) सुथरी[४२७]ना श्री कृतस-जिनसयनी पातुभूतिन म. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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