Book Title: Anchalgacchiya Pratishtha Lekho Part 01 and 02
Author(s): Parshwa
Publisher: Akhil Bharat Anchalgaccha Vidhipaksha Shwetambar Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 223
________________ १७६ नगर-संघ मुख्य साह श्री लखमसी रामइया। तथा साह नागप्ती सोदे तथा साह सागण देवजी तथा साह पसाइया दामजी तथा सा० अरजण मणसी। ईदं अष्टापद चैत्यप्रासाद शेठ श्री हीरजी नरसी तद्भार्या पूरबाईए कारिता ॥ धर्मोपदेशकारक मुनि देववर्द्धन ॥ श्री सुजापुरगाम वास्तव्यं सांईआगोत्रे सा० श्री ठाकरसी गोवंद भार्या जेठीवाई तत्पुत्र वेलजी ठाकरसी अने पुत्री बाई पूरबाईए श्री जिनालय .... (५छीनपभमा माछ गये। छे.) (८८७ ) संवत् १९१८ ना वर्षे शालिवाहन भूप संवत् शाके १७८३ प्रवर्त्तमाने श्री माघमासे शुक्लपक्ष पंचमीतिथौ श्री सोमवासरे मध्याह्नकाल समये श्री विजयमुहूर्ते श्री पार्श्वजिनबिंब स्थापन श्री कच्छदेशे महाराजाधीराज श्री प्रागमलजी विजयराज्ये श्री वडसरग्रामाधीपति यदुवंश विभूषण श्री हमीरजी राजेन्द्र श्रीमदंचलगच्छाधीपति सकलभट्टारकशिरोमणि धुरंधर पूज्य भट्टारक श्रीश्रीश्री १००८ श्री रत्नसागरसूरीश्वराणामुपदेशात् श्री अंचलगच्छेश। उकेशवंशज्ञातीय लघुशाखायां श्री धरमशी गोत्रे दिन दिन अधिक प्रताप चीरंजीवी शा० श्री गोवंद खेतशी भायो बाई लीलबाई तत्पुत्र शा० करमशी भार्या मेघबाई तत्पुत्र धर्मरागी परम सौभागी सा० हरधोर भार्या सोनबाई स्मरणार्थे प्रतिष्ठापिता उपदेशे विनीतसागर शिष्य गुणसागर। सोमसागर। कल्याणसागर ॥ (८८८) ॥ संवत् १९१८ वर्षे शाके १७८३ प्रवर्त्तमाने माघ सुदि १३ बुधे श्री कोठारानगरे श्री अंचलगच्छे पूज्य भट्टारक श्री रत्नसागरसूरीश्वराणामुपदेशात् । श्री लोडाइयागोत्रे सा० श्री शिवजी नेणसी तथा सा० श्री वेलजी मालु तथा गांधीमोतागोत्रे सा० श्री केशवजी नायक्रेन श्री आदिनाथपादुका कारिता पुण्यार्थे ॥ शुभं ॥ (८८९ ) ॥श्री जिनाय नमः ॥ २४॥ संवत् १९१८ ना वर्षे शाके १७८३ ना प्रवर्त्तमांने माघमासे शुक्लपक्षे त्रयोदशि तिथौ श्री बुधवासरे श्री कच्छदेशे श्री वारापधरनगरे जाडेजा हमीरजी राजे श्री अचलगच्छे पूज्य भट्टारक श्री श्री श्री १०८ श्री रत्नसागरसूरीश्वराणामुपदेशात् उशवंशज्ञाति लघुशाखायां संघ समस्तेन श्री आदिसर जिनालय शिखरबंध करापितं श्री प्रतिष्ठामहोच्छव तथा ज्ञाति समस्त मिलापकं उशवंशज्ञातीय लघुशाखायां लोडाईआगोत्रे सा० नांगसी देवणांध तथा मणसी उकरडा तं। गोवंदजी लखमसीए करापितं । चतुर्मासी मु० भाग्येंदुना शिष्य मु० देवचंद्रजी । सलावट रुगनाथ मावजीए कारितं संवत् १९२० ना वर्षे कार्तिक सुद १ बुधे शे० हीरजी नरशी तत्भार्या बाई पूरबाई श्री ह्रींकारजी कारापितं श्री मुंबईविंदर मध्ये ॥ (૮૮૭) વડસર[કચ્છના ઉત્થાપિત-જિનાલયની શિલા પ્રશસ્તિનો સારભાગ. (૮૮૮) કોઠાર(કચ્છ)ના શ્રી શાંતિનાથ-જિનાલયની પાદુકા ઉપરનો લેખ. (૮૮૯) વારા પધર[કચ્છ)ના શ્રી આદીશ્વર–જિનાલયને શિલાલેખ. (૮૯૦) સુઘરી[કચ્છ)ના શ્રી ધૃતકલેલ પાર્શ્વનાથ-જિનાલયની ધાતુમૂર્તિને લેખ. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288