Book Title: Agam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१३३
पदं-३, उद्देशकः-, द्वारं-४ अणंतगुणा सुहुमा अपजत्तया विसेसा० एएसिणं भंते ! सुहुमपज्जत्त० सुहमपुढविका० पज्जत्त० सुहुमआउका० पजत्त० सुहुमते-उका० पजत्त० सुहुमवाउका० पजत्तगाणंसुहुमवणस्सइका० पज्जत्त० सुहुनमनिगोदपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४ ?,
__ गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउका० पज्जत्तगा सुहुमपुढविका० पजत्तगा विसेसा० सुहुमआउका० पजत्तगा विसेसा० सुहमआउका० पजत्तगा विसेसा० सुहमवाउका० पजत्त० विसेसा० सुहुमनिगोया पजत्तगा असंखेजगुणासुहमवण० पजत्त० अनंत० सुहमपजत्त०विसेसा० एएसिणं भंते! सुहुमाणं पजत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमअपजत्तगा सुहमपज्जत्तगा संखे० ! एएसिणं भंते ! सुहमपुढवी० पजत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा४?, गोयमा! सव्वत्थोवासुहुमपुढविकाइया अपजत्तयासुहुमपुढविकाइया पज्जत्तया संखेजगुणा । एएसिणं भंते! सुहमआउ० पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा ४ गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमआउका० अपज्जत्त० सुहुमाउका० पजत्तगा संखेजगुणा । एएसिणं भंते! सुहुमतेउ० पजत्तापज्जत्ताणंकयरे कयरेहितोअप्पावा ४?, गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमतेउका० अपज्जत्त० सुहुमतेउका० पजत्तां संखे०।
एएसिणं भंते! सुहुमवाउका० पजत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गोयमा सव्वत्थोवा सुहुमवाउका० अपजत्त० वाउका० पजत्त० संखेज०।
एएसिणं भंते! सुहुमवण० पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमवण० अपज्ज० सुहुमवणस्सइपज्जत्त० संखे०।
एएसिणं भंते ! सुहुमनिगोयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमनिगोया अपज्जत्त० सुहुमनिगोया पजत्त० संखेजगुणा।
एएसिणं भंते ! सुहुमाणं सुहमपुढ० सुहुमआउ० सुहुमतेउ० सुहुमवाउ० सुहुमवण० सुहुमनिगोदाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४ ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपजत्तया सुहुमपुढवीअपज० विसेसा० सुहुमआउ० अपज्ज० विसेसा० सुहुमवाउ० अपज० विसेसा० सुहुमतेउ० अपज्ज० संखेजगुणा सुहमपुढवीपजत्त० विसेसा० सुहुमाउ० पज्जत्त० विसेसा० सुहुमवाउ० पज्जत्त० विसेसा० सुहुमनिगोदा अपज्ज- असंखे० सुहुमनिगोदा पज्जत्त० संखे० सुहुमवण० अपज्ज० अणंतगुणा सुहमअपज्ज० विसेसा० सुहुमवण पज्जत्त० संखेज० सुहमपज्जत्त० विसेसा० सुहमा विसेसाहिया।
वृ. सर्वस्तोकाः सूक्ष्माः तेजःकायिकाः, असङ्खयेयलोकाकाशप्रदेशप्रमाणत्वा, तेभ्यः सूक्ष्मपृथिवीकायिका विशेषाधिकाः, प्रभूतासङ्ख्यलोकाकाशप्रदेशप्रमाणत्वात्, तेभ्यः सूक्ष्माकायिका विशेषाधिकाः, प्रभूततरासङ्खयेयलोकाकाशप्रदेशमानत्वात्, तेभ्यः सूक्ष्मवायुकायिका विशेषाधिकाः प्रभूततमासङ्खयेयलोकाकाशप्रदेशराशिमानत्वात्, तेभ्यः सूक्ष्मनिगोदा असङ्खयेयगुणाः, सूक्ष्मग्रहणंबादरव्यवच्छेदार्थं, द्विविधा हिनिगोदाः-सूक्ष्माबादराश्च, तत्रबादराः सूरणकन्दादिषु, सूक्ष्माः सर्वलोकापन्नाः, तेच प्रतिगोलकमसङ्खयेया इति सूक्ष्मवायुकायिकेभ्योऽसोययगुणाः, तेभ्यः सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाअनन्तगुणाः, प्रतिनिगोदमनन्तानांजीवानां भावात्, तेभ्यः सामानिकाः सूक्ष्मजीवा विशेषाधिकाः, सूक्ष्मपृथिवीकायिकादीनामपि तत्र प्रक्षेपात् । Jain Education International
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