Book Title: Agam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
पदं - ४, उद्देशक:-, द्वारं - २७
वाउकाइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साईं, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहूत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, सुहुमवाउकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, बायरवाउकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उउक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साइं, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साइं अंतोमुहत्तूणाई ।
१८१
वणप्फइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं, अपजत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, सुहुमववणप्फइकाइयाणं ओहियाणं अपजत्ताणं पञ्जत्ताणं य पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, बायरवणप्फइकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणवि उक्कोसेणवी अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
मू. (३०१) बेइंदियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुततं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई अंतोमुहुत्तूणाई ।
तेइंदियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगुणवन्नं राइंदियाई, अपजत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगुणवन्नं राइंदियाई अंतोमुहुत्तूणाई
चउरिंदियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहत्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छम्मासा, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पजत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छम्मासा अंतोमुहुत्तूणा ।
मू. (३०२) पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं, अपज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पञ्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्निपलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, ।
समुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा ! जहनेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुचकोडी, अपजत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा ।
गब्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा ! जहत्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं, अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पनिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324