Book Title: Agam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पदं-५, उद्देशकः--, द्वारजघन्याभिनिबोधिकतिर्यक्पञ्चेन्द्रियसूत्रे 'लिईए चउट्ठाणवडिए' इति, असङ्खयेयवर्षायुषोऽपि हि तिर्यक्पञ्चेन्द्रियय्स स्वभूमिकानुसारेण जन्मन्ये आभिनिबोधिकश्रुतज्ञाने लभ्येते ततः सङ्घयेयवर्षायुषोऽसङ्खयेयवर्षायुषश्च जघन्याभिनिबोधिकश्रुतज्ञानसंभवाद् भवन्ति स्थित्या चतुःस्थानपतिताः, उत्कृष्टाभिनिबोधिकज्ञानसूत्रे स्थित्या च त्रिस्थानपतिता वक्तव्याः । यत इह यस्योत्कृष्टे आभिनिबोधिकश्रुतज्ञाने स नियमात् सङ्घयेयवर्षायुष्कः२ स्थित्यापि त्रिस्थानपतित एव यथोक्तं प्राक्, अवधिसूने विभङ्गसूत्रेऽपि स्थित्या त्रिस्थानपतितः, किं कारणम् उच्यते, असङ्खयेयवर्षायुषोऽवधिविभङ्गासंभवात्, आह चमूलटीकाकारः ‘ओहिविभङ्गेसुनियमा तिट्ठाणवडिए, किं कारणं? भन्नइ, ओहिविभङ्गा असंखेज्जवासायस्स नत्थि'त्तिजघन्यावगाहनमनुष्यसूत्रे 'ठिईए तिट्टाणवडिए' इति तिर्यक्पञ्चेन्द्रियवत्,
मू. (३२०) जहन्नोगाहणगाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जहन्नोगाहणगाणं मणुस्साणं अनंता पजवा पन्नत्ता?, गोयमा! जहन्नोगाहणए मणूसे जहन्नोगाहणगस्स मणूसस्स दव्वट्ठाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए तुल्लेठिईए तिहाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं तिहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए, उक्कोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं ठिईए सिय हीणे सियतुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे अह अब्भहिए असंखेज्जइभागअब्भहिए, दो नाणा दो अन्नाणा दो दंसणा। अजहन्नमणुक्कोसोगाहणएविएवं चेव, नवरं ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठा- णवडिए आइल्लेहिं चउहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए, केवलनाणपज्जवेहिं तुल्ले, तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, केवलदसणपज्जवेहिं तुल्ले।
जहन्नठिइयाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अनंता पजवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुइ ?, गोयमा ! जहन्नठिइए मणुस्से जहन्नठियस्स मणुस्सस्स दब्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिएठिईए तुल्लो वन्नगंधरफासपज्जवेहि दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसठिइएवि, नवरं दो नाणा दो अन्नाणा दो दसणा, अजहन्नमणुक्कोसठिइएवि एवं चेव, नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए आइल्लेहिं चउहि नाणेहिं छट्ठाणवडिए केवलनाणपज्जवेहंतुल्ले तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए केवलदसणपज्जवेहिं तुल्ले । जहन्नगुणकालयाणं भंते ! मणुस्साणं केळइया पजवा प० गो० अनंता पजवा पन्नत्ता से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ?, गोयमा! जहन्नगुणकालए मणूसे जहन्नगुणकालगस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईएचउठाणवडिएकालवनपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपज्जवेहिंछट्ठाणविएछउहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए केवलनाणपज्जवेहिं तुल्ले तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए केवलदसणपज्जवेहिं तुल्ले, एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्मणुक्कोसगुणकालएविएवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ठ फासा भा०
जहन्नाभिनिबोहियनाणीणं मणुस्साणं केवइया पजवा पन्नत्ता?, गोयमा! अनंता पजवा पन्नत्ता, सेकेणटेणं भंते! एवं वुच्चइ?, गोयमा! जहन्नाभिनिबोहियणाणी मनूसे जहन्नाभिनिबोहियणाणिस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले गाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए
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