Book Title: Agam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पदं-५, उद्देशकः-, द्वारं
२११ छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसगुणक्खडेवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणकक्खडेवि एवं चेव नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं मउयगुरुयलहु एवि भाणियब्बे,
___ जहन्नगुणसीयाणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अनंता पज्जवा पनत्ता, से केणद्वेणंभंते! एवंवुच्चइ?, गोयमा! जहन्नगुणसीएपरमाणुपोग्गलेजहन्नगुणसीतस्सपरमाणुपुग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपज्जवेहि य तुल्ले उसिणफासो न भन्नति निद्धलुक्खफासपञ्जवेहि य छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसगुणसीएवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए,
___ जहन्नगुणीताणं दुपदेसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते दुपएसिए जहन्नगुणसीतस्स दुपदेसियस्स दब्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए सिय हीणे सियतुल्ले सिय अब्भहिए जइ हीणे पएसहीणे (अह) अब्भहिए पएसब्भहिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपज्जवेहिं तुल्लेउसिणनिद्धलुक्खफासपञ्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवंउक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणसीतेविएवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं जावदसपएसिए, नवरं ओगाहणट्टयाए पएसपरिवुड्डी कायव्वाजाव दसपएसियस्स नव पएसा वुद्धिजंति,
जहन्नगुणसीयाणं संखेजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ?, गोयमा! जहन्नगुणसीते संखिजपएसिएजहन्नगुणसीतस्स संखिजपएसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए दुट्ठाणवडिए ओगाहणट्टयाए दुट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वण्णादीहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपञ्जवेहिं तुल्ले उसिणनिद्धलुक्खेहिं छठ्ठाणवडिए, एवं उक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरंसट्ठाणे छट्ठाणवडिए,
जहन्नगुणसीयाणं असंखिज्जपएसियाणपुच्छा, गोयमा ! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते असंखिजपएसिए जहन्नगुणसीयस्स असंखिजपएसियस्स दव्वठ्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छउट्ठाणवडिए ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणविए ठिईए चउट्ठाणवडिएवण्णाइपज्जवेहिंछट्ठाणवडिएसीयफासपज्जवेहिंतुल्ले उसिणनिद्धलुक्खफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्मणुक्कोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, जहन्नगुणसीताणं अनंतपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अनंता पजवा पन्नत्ता, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते अनंतपएसिए जहन्नगुणसीतस्स अनंतपएसियस्स दवट्ठयाएतुल्ले पएसट्टयाएछट्ठाणवडिए ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिएठिईए चउट्ठाणवडिए वण्णाइजवेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं सत्तफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसलगुणसीतेवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं उसिणनिद्धलुक्खे जहा सीते परमाणुपोग्गलस्स तहेव पडिवक्खो सव्वेसिन भण्णइ त्ति भाणियव्वं साम्प्रतं सामान्यसूत्रमारभ्यते।
वृ. सम्प्रति दण्डकक्रमेण परमाणुपुद्गलादीनां पर्यायाश्चिन्तनीयाः, दण्डकक्रमश्चायंप्रथमतःसामान्येन परमाण्वादयश्चिन्तनीयाः तदनन्तरं ते एव एकप्रदेशाधवगाढाः तत एकसम
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