Book Title: Agam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पदं-५, उद्देशकः-, द्वारं
२०१
टःसासादनसम्यग्दृष्टिश्च मनाक्शुभपरिणामस्ततः स तेषुमध्ये नोत्पद्यते तेनाज्ञाने एव लभ्येते न ज्ञाने, उत्कृष्टस्थितिषु पुनर्मध्ये सासादनसम्यकत्वसहितोऽप्युत्पद्यते इति तत्सत्रे ज्ञाना अज्ञाने च वक्तव्ये, तथा चाह- ‘एवं उक्कोसठिइएवि, नवरंदो नाणा अब्भहिया' इति, एवमेवाजधन्योत्कृष्टस्थितिसूत्रमपि वक्तव्यं, भावसूत्राणि पाढसिद्धानि, एवं त्रीन्द्रियचतुरिन्द्रिया अपि वक्तव्याः, नवरं चतुरिन्द्रियाणां चक्षुर्दर्शनमधिकं अन्यथाचतुरिन्द्रियत्वायोगादिति तेषांचक्षुदर्शनविषयमपि सूत्रं वक्तव्यं, जघन्यावगाहनतिर्यक्पञ्चेन्द्रियसूत्रे 'ठिईए तिट्टाणवडिए' इति,
मू. (३१९) जहन्नोगाहणगाणं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पजवा पन्नत्ता गोयमा! अनंता पजवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नीगाहणगाणं पंचिंयतिरिक्खजोणियाणं अनंता पज्जवा पन्नत्ता?, गोयमा! जहन्नीगाहणए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएजहन्नोगाहणयस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिहाणवडिए वन्नगंधरसफासपञ्जवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहि छट्ठाणवडिए, उक्कोसोगाहणएविएवं चेव, नवरंतिहिं नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, जहा उक्कोसोगाहणए तहा अजहन्नमणुक्कोसोगाणएवि, नवरं ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए,
जहन्नठिइयाणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता?, गोयमा ! अनंता पजवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठिइयाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अनंता पज्जवा पन्नत्ता?, गोयमा! जहन्नठिइएपंचिंदियतिरिक्खजोणिएजहन्नठिइयस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, उक्कोसठिइएवि एवं चेव नवरंदो नाणा दो अन्नाणा दो दंसणा, अजहन्नमणुक्कोसठिइएविएवंचेव, नवरंठिईएचउट्टाणवडिए तिन्नि नाना तिन्नि अन्नाणा तिन्निदंसणा। जहन्नगुणकालगाणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ ?, गोयमा! जहन्नगुणकालए पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नगुणकालगस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपञ्जवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसेणंहि छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्टाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा।
जहन्नाभिनिबोहियणाणीणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता गोयमा! अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणतुणं भंते! एवं वुच्छइ?, गोयमा! जहन्नाभिनिबोहियनाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नाभिणिबोहियणाणिस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए आभिनिबोहियनाणपज्जवेहिंतुल्ले सुयनाणपज्जवेहिंछट्ठाणवडिए चक्खुदंसणपज्जवेहिंछट्ठाणवडिए अचक्खुदसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं उक्कोसाभिनिबोहियनाणीवि, नवरंठिईए तिट्ठाणवडिए, तिन्नि नाणा तिन्नि दसणा सट्ठाणे तुल्ले सेसेसु छट्ठाणवडिए। ___ अजहन्नमणुक्कोसाभिनिबोहियनाणी जहा उक्कोसाभिनिबोहियनाणी नवरं ठिईए
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