Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 388
________________ श्रीमत्प्ररनच्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् / अध्ययनं 2 ] // 2 // अथ मृषावादकाश्रवाख्यं द्वितीयमध्ययनम् // इह खलु जंबू! बितियं च अलियवयणं लहुसग-लहुचवलभणियं, भयकर, दुहकर, अयसकर, वेरकरगं, अरति-रति-राग-दोस-मणसंकिलेसवियरणं अलियं नियडिसातिजोयबहुलं, नीयजणनिसेवियं निस्संसं, अप्पञ्चयकारकं, परमसाहुगरहणिज्जं, परपीलाकारगं परमकिराहलेस्ससहियं, दुग्गइविणिवायविवडणं, भवपुणभवकरं चिरपरिचियमणुगतं, दुरन्तं, कित्तियं, वितियं अधम्मदारं // सू० 5 // तस्स .य णामाणि गोराणाणि होति तीसं, तंजहा-अलियं 1 सद 2 अणज्जं.३ मायामोसो 4 असंतकं 5 कूडकवडमवत्थुगं च 6 निरत्थयवमत्थसं च 7 विद सगरहणिज्ज 8 अणुज्जुकं 1 ककणा य 10 वंचणा-य 11 मिन्छापच्छाकडं च 12 साती उ 13 उच्छन्नं [उच्छृत्तं] 14 उक्कूलं च 15 अट्ट 16 अब्भक्खाणं च 17 किब्बिसं 18 वलयं 11 गहणं च 20 मम्मणं च 21 नूम 22 निययी 23 अप्पच्चो 24 असमयो 25 असच्चसंधत्तणं 26 विवक्खो 27 अवहीयं (याणाइयं) 28 उवहिअसुद्धं 21 अवलोवोत्ति 30, विइयस्स इमाणि एवमाइयाणि एयाणि नामधेजाणि होति तीसं सावजस्स अलियस्स वयजोगस्स अणेगाई // सू. 6 // तं च पुण वदंति केइ अलियं पावा असंजया, अविरया, कवड. कुडिल कडुयचटुलभावा, कुद्धा, लुद्धा, भयाय हस्सट्ठिया(हासट्टा) य, सक्खी, चोरा, चारभडा, खंडरक्खा, जियजूइकरा य गहियगहणा, कककुरुगकारगा, कुलिंगी, उवहिया वाणियगा य, कूडतुलकूडमाणी, कुडकाहावणोवजीविया, पडगारका कलाया कारइजावंचणपरा, चारियचाटुयार-नगरगोत्तिय-परियारगा दुट्टवायि-सूयक अणबल-भणिया य पुबकालिय-वयणदच्छा, साहसिका, लहुस्सगा, असच्चा, गारविया, असचट्ठावणाहिवित्ता, उच्चच्छंदा, अणिग्गहा, अणियता, छदेण मुकवाया भवंति, अलियाहिं जे अविरया, 1 / अवरे नत्थिकवाइणो वामलोकवादी भणंति [सुणंति] नत्थि जीवो न जाइ इह

Loading...

Page Navigation
1 ... 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510