Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 476
________________ श्रीमद् विपाकसूत्रम् :: अ० 1 अध्ययन 3 ] ( R तिभागासेसे दिवसे सूलीयभिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए संसारो तहेव पुढवी, ततो हत्थिणाउरे नगरे मिगत्ताए पञ्चायाइस्सति, से णं तत्थ वाउरिएहिं वहिए समाणे तत्थेव हत्थिणाउरे नगरे सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए उववजिहिति, बोहिं सोहम्मे कप्पे विमाणे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 8 / निक्खेबो // सू० 24 // पंचम अज्झयणं समत्तं // -- // इति पञ्चममध्ययनम् // श्रु०१-अ० 5 // // अथ नन्दिवर्धनाख्यं षष्ठमध्ययनम् // जइ णं भंते ! छट्ठस्स उक्लेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं महुरा नाम नयरी भंडीरे उजाणे, सुदंसणे जक्खे, सिरीदामे राया, बंधुसिरी भारिया, पुत्ते णंदिवद्धणे कुमारे अहीण जाव सव्वंग-सुदरंगे जुवराया, तस्स सिरीदामस्स सुबन्धु नामं अमच्चे होत्था सामदंड जाव निग्गहकुसले तस्स णं सुबन्धुस्स अमञ्चस्स बहुमित्तपुत्ते नामं दारए होत्था अहीण जाव सव्वंग-सुदरंगे, तस्स णं सिरिदामस्स रगणो चित्ते नामं अलंकारिए होत्था, सिरिदामस्स रनो चित्तं बहुविहं अलंकारियकम्म करेमाणे सब्वट्ठाणेसु य सव्वभूमियासु य अंतेउरे य दिनवियारे यावि होत्था 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा निग्गया रायावि निग्गयो जाव परिसा पडिगया 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स जेटे जाव रायमग्गं श्रोगाढे तहेव हत्थी पासे पुरिसे, तेसिं च णं पुरिसाणं मझगयं एगं पुरिसं पासति जाव नरनारि-संपरिवुडं 3 / तते णं तं पुरिसं रायपुरिसा चच्चरंसि तत्तंसि अयोमयंसि समजोईभूय-सिहासणंसि निविसावेंति तयाणंतरं च णं पुरिसाणं मझगयं बहुविहं अयकलसेहि तत्तेहिं समजोइभूएहिं अप्पेगइया तंबभरिएहि अप्पेगइया तउयभरिएहिं अप्पेग

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