Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 475
________________ 462] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः हियस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए तम्हा णं होउ अम्हं दारए बहस्सइदत्ते नामेणं, तते णं से वहस्सतिदत्ते दारए पंचधाति परिग्गहिए जाव परिवड्डइ, तते णं से वहस्सतिदत्ते उम्मुक्कबालभावे जुब्बणगमणुपत्ते विराणायपरिणयमित्ते अलं भोगसमत्थे यावि होत्था, से णं उदायणस्स कुमारस्स पियवालवयस्सए यावि होत्था सहजायए सहवडीयए सहपंसुकीलियए 3 / तते णं से सयाणीए राया अन्नया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, तते णं से उदायणकुमारे बहुराईसर जाव सत्थवाहप्पभिइहिं सद्धिं संपरितुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे सयाणीयस्स रनो महया इड्डीसकारसमुदएणं नीहरणं करेति, 2 बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेति 4 / तते णं ते बहवे राईसर जाव सत्थवाहप्पभिइयो उदायणां कुमारं महया रायाभिसेएगां अभिसिंचंति, तते गां से उदायणे कुमारे राया जाते महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे 5 / तते णं से बहस्सतिदत्ते दारए उदायणस्स रनो पुरोहियकम्मं करेमाणे सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु अंतेउरे य दिनवियारे जाए यावि होत्था, तते णं से बहस्सतीदत्ते पुरोहिए उदायणस्स रगणो अंतेउरंसि वेलासु य अवेलासु य काले य अकाले य रायो य वियाले य पविसमाणे अन्नया कयाई पउमावईए देवीए सद्धिं संपलग्गे यावि होत्था पउमावईए देवीए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ 6 / इमं च णं उदायणे राया राहाए जाब विभूसिए जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ 2 वहस्सतिदत्तं पुरोहियं पउमावतीदेवीए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुजमाणं पासति 2 श्रासुरुत्ते तिवलिं भिउडिं साहटु वहस्सतिदत्तं पुरोहियं पुरिसेहिं गिराहावेति 2 जाव एएणं विहाणेणं वज्झ प्राणाविए (प्राणवेति), एवं खलु गोयमा ! बहस्सतिदत्ते पुरोहिए पुरापोराणाणं जाव विहरइ 7 / बहस्सतिदत्ते णं भंते ! दारए इयो कालगए समाणे कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! बहस्सतिदत्ते णं दारए पुरोहिए चोसट्टि वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव

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