Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् // श्रु० 1:: अध्मयनं 10 ] [ 485 गोयमा ! देवदत्ता देवी पुरापुराणाणां जाव विहरति 26 / देवदत्ता णं भंते ! देवी इश्रो कासमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! असीइं वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किची इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिइ संसारो वणस्सतिसु ततो श्रगांतरं उब्वट्टित्ता गंगपुरे नगरे हंसत्ताए पचायाहिति, से णं तत्थ साउणितेहिं वधिए समाणे तत्थेव गंगपुरे णगरे सेटिकुलंसि बोहिं सोहम्मे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, णिक्खेवो 30 // सू० 21 // दुहविवागस्स नवमं अज्झयणंतिबेमि॥ ... / इति नवममध्ययनम् // श्रु० १-अ० 9 // // अथ उम्बरदत्ताख्यं दशममध्ययनम् // जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वद्धमाणपुरे णामे णगरे होत्था, विजयवद्धमाणे उजाणे माणिभद्दे जक्खे विजयमित्ते राया, तत्थ णं धणदेवे नामं सत्थवाहे होत्था अड्ढे जाव अपरिभूए, पियंगूनामभारिया अंजू दारिया जाव सरीरा, समोसरणां परिसा जाव पडिगया 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं जेडे जाव अडमाणे जाव विजयमित्तस्स रनो गिहस्स असोगवणियाए अदूरसामंतेगां वितिवयमाणे पासति एगं इत्थियं सुक्क भुक्खं निम्मंसं किडिकिडीभूयं अट्ठिचम्मावणद्धं नीलसाडगनियत्थं कट्ठाई कलुणाई विसराई कूवमाणां पासति 2 चिंता तहेव जाव एवं वयासी-सा णं भंते ! इत्थिया पुत्वभवे का श्रासि ?, वागरणां 2 / एवं खलु गोयमा ! ते कालेगां तेषां समएगां इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे णामं णगरे होत्था, तत्थ णां इंददत्ते राया पुढवीसिरी नामं गणिया होत्था वराणश्रो, तते णं सा पुढवीसिरी गणिया इंदपुरे णगरे बहवे राईसर जावप्पभियश्रो

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