Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 486 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः चतुर्थो विभागः बहूहिं चुन्नप्पयोगेहि य जाव अाभियोगेता उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरति 3 / तते णं सा पुढवीसिरी गणिया एयम्मा 4 सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता पणतीसं वाससयाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्टीए पुढवीए उक्कोसेगां णेरइयत्ताए उववन्ना 4 / सा णं तो श्रणांतरं उव्वट्टित्ता इहेव वद्धमाणपुरे णगरे घणदेवस्स सत्थवाहस्स पियंगुभारियाते कुञ्छिसि दारियत्ताए उववन्ना 5 / तते गां सा पियंगुभारिया णवराहं मासागां दारियं पयाया, नामं अंजूसिरी, सेसं जहा देवदत्ताए 6 / तते णं से विजए राया पासवाह जहा वेसमणदत्ते तहा अंजू पासइ णवरं अप्पणो अट्टाए वरेति जहा तेतली जाव अंजूए दारियाते सद्धिं उप्पि जाव विहरति, तते णं तीसे अंजूते देवीते अन्नया कयावि जोणिसूले पाउब्भूते यावि होत्था, तते णं से विजये राया कोड बियपुरिसे सद्दावेति 2 एवं वयासी-गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! वद्धमाणे पुरे णगरे सिंघाडग जाव एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! विजयस्स रायस्स अंजूए देवीए जोणिसूले पाउन्भूते जो णं इस्थ विजो वा 6 जाव उग्घोसेंति, तते णं ते बहवे विजा वा 6 इमं एयारूवं सोचा निसम्म जेणेव विजए राया तेणेव उवागच्छंति 2 ता अंजूते बहुहिं उप्पत्तियाहिं 4 परिणामेमाणा इच्छंति अंजूते देवीए जोणिसूलं उवसामित्तत्ते, नो संचाएंति उवसामित्तए तते णं ते बहवे विजा य 6 जाहे नो संचाएंति अंजूदेविए जोणिसूलं उत्सामितत्ते ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। तते णं सा अंजूदेवी ताए वेयणाए अभिभूता समाणा सुका भुक्खा निम्मंसा कट्ठाई कलुणाई विसराई विलवति, एवं खलु गोयमा ! अंजूदेवी पुरापोराणायां जाव विहरति 8 / अंजू गां भंते ! देवी इयो कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! अंजू गां देवी नउइं वासाई परमाउयं पालयित्ता कालमासे कालं किचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए

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