Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ बीमद्-विषाकसूत्रम् / श्रु० 1 // अध्यननं 5 / [ 461 मोगाढ़े तहेव पासइ हत्थी पासे पुरिसमज्झे पुरिसं चिंता तहेव पुच्छति पुब्वभवं भगवं वागरेति 2 / एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सव्वतोभद्दे नामं नयरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं सम्वतोभद्दे नगरे जियसत्तू नामं राया होत्था, तस्स णं जियसत्तुस्स रन्नो महेसरदत्ते नाम पुरोहिए होत्या रिउव्वेय-जजुब्वेय. सामवेय-अथव्वणवेय-कुसले प्रावि होत्था 3 / तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिए जियसत्तुस्स रन्नो रजबल-विवद्धण-अट्टाए कलाकल्लिं एगमेगं माहणदारयं एगमेगं खत्तियदारयं एगमेगं वइस्सदारयं एगमेगं सुद्ददारगं गिराहावेति 2 तेसि जीवंतगाणं चेव हिययउंडए गिराहावेति जियसत्तुस्स रन्नो संतिहोम करेति 4 / तए णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठमी-चो(चउ)इसीसु दुवे माहण 1 खत्तिय 2 वेस 3 सुद्ददारगे 4 चो(चउ)राहं मासाणं चत्तारि 2 छराहं मासाणं अट्ठ 2 संवच्छरस्स सोलस 2 जाहे जाहेविय णं जियसत्तू राया परखलेणं अभिजुजइ (अभिजुज्झति) ताहे ताहेवि य णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठसयं माहणदारगाणं अट्ठसयं खत्तियदारगाणं अट्ठसयं वइ. स्सदारगाणं अट्ठसयं. सुद्ददारगाणं पुरिसेहि गिराहावेति गिराहावेत्ता तेसिं जीवंतगाणं चेव हिययउंडीयो गिराहावेति 2 जियसत्तुस्स रराणो संतिहोमं करेति, तते णं से परबले खिप्पामेव विद्धंसिजइ(सेति) वा पडिसेहिज्जइ वा 5 // सू० 23 // तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिए एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमुदायारे सुबहुं पावकम्मं समजिणित्ता तीसं वाससयाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किचा पंचमाए पुढवीए उकोसेगां सत्तरस-सागरोवम ट्ठितिए नरगे उववन्ने 1 / से णं ततो अणंतरं उबट्टित्ता इहेव कोसंबीए नयरीए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ताए भारियाए पुत्तत्ताए उववन्ने 2 / तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो निव्वत्त-बारसाहस्स इमं एयारूवं नामधेज्जं करेंति, जम्हा णं अहं इमे दारए सोमदत्तस्स पुरो

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