Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ मच्च एवं वाण से सुसेणे गये एणं विद्या बुद्धिगणाणं त कहि गल्छि भीमद्-विपाकवत्रम् / / 1 // अध्ययनं 4 ] [ 46 भोगभोगाई भुजमाणं पासइ 2 श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहट्टु सगडं दारयं पुरिसेहि गिराहाविति 2 श्रट्टि जाव महियं करेति यो अवउडगवंधणगं करेति 2 जेणेव महवंदे राया तेणेव बागछइ उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! सगडे दारए मम अंतेपुरंसि अवरद्धे 7 / तते णं से महचंदे राया सुसेणं अमच्चं एवं वयामी-तुमं चेव णं देवाणुप्पिया ! सगडस्स दारगस्म दंडं निवत्तेहि, तए णं से सुसेणे श्रमच्चे महचंदेणं रन्ना अब्भणुनाए समाणे सगडं दारयं सुहरिसणं च गणियं एएणं विहाणेणं वज्झ बाणवेति, तं एवं खलु गोयमा ! सगडे दारगे पोरापुराणाणं दुचिराणाणं पचणुभवमाणे विहरति 8 // सू० 21 // सगडे णं भंते ! दारए कालगए कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिइ ?, सगडे णं दारए गोयमा ! सत्तावरणं वासाई परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अनोमयं तत्तसमजोइभूयं इत्थिपडिमं अवयासाविए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववजिहिति 1 / से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे णगरे मातंगकुलंसि जुगलत्ताए पचायाहिति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णिवत्तबारसगस्स इमं एयाख्वं गोराणं नामधेनं करिस्संति, तं होऊ णं दारगं सगडे नामेणं होऊ णं दारिया सुदरिसणानामेणं, तते णं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे जोवणग-मणुपत्ते अलं भोगसमत्थे यावि भविस्सइ 2 / तए णं मा सुदरिसणावि दारिया उम्मुक्कबालभावा विराणाय-परिणयमेत्ता जोवणगमणुप्पत्ता स्वेण य जोव्वणेण य लावराणेण य उकिट्टा उक्किटुसरीरा यावि भविस्सइ 3 / तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए रूवेण य जोवणेण य लावराणेण य मुच्छिए सुदरिसणाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरिस्सति 4 / तते णं से सगडे दारए अन्नया कयाई सयमेव कूडगाहित्तं उवसंपज्जित्ताणं

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