Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्-विपाकसूत्रम् : भु० 1 : अध्ययनं 4 ] [ 457 सव्वंग-सुदरंगे 2 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा राया य निग्गए धम्मो कहियो परिसा पडिगया 3 / तेणं कालेणं तेणं समएगां समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाढे तत्थ णं हत्थी श्रासे पुरिसे पासति तेसिं च णं पुरिसागां मझगए पासति एगं सइत्थीयं पुरिसं अवउडगबंधां उक्खित्तकन्ननासं जाव उग्योसेगां चिंत्ता तहेव जाव भगवं वागरेति, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नाम णगरे होत्था, तत्थ सीहगिरिनाम राया होत्था महयाहिमवतमहंत-मलय-मंदर-महिंदसारे 4 / तत्थ णं छगलपुरे णगरे छणिए नामं छागलीए परिवसति अड्डे जाव अपरिभए अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं छणियस्स छागलियस्स बहवे प्रयाण य एलाण य रोझाण य वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सतबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाडगंसि सन्निरुद्धाइं चिट्ठति 5 / अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसा दिनभइभत्तवेयणा बहवे य अए जार महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिटुंति, अराणे य से बहवे पुरिसा अयाण य जाव गिर्हसि निरुद्धा चिट्ठति 6 / अन्ने य से बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सयए य सहस्से य जीवियायो ववरोविंति 2 मंसाई कप्पणीकप्पियाई करेंति श्रयमसाई जाव महिसमंसाइं तवएसु य कवल्लीसु य कंदूएसु य भजणेसु य इंगालेसु य तलेंति य भज्जेंति य सोल्लयंति य 2 ततो य रायमग्गंसि वित्ति कप्पेमाणा विहरंति 7 / अप्पणाविय णं से छनियए छागलीए तेहिं बहुविहअयहिं मंसेहिं जाव महिसमंसेहि य सोल्लेहि य तलेहि य भज्जेहि य सुरं च 6 श्रासाएमाणे विहरति, तते णं से छन्नीए य छागलीए एयकम्मे

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