Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ सोरियस्स मच्छदिसि पाउभ्या नागणे तेणं श्रीमद्-विपाकसूत्रम् :: श्रु०॥ 1 अध्ययनं 9 / [ 477 नो चेव णं संचाएंति नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा, तते णं बहवे विजा य 6 जाहे नो संचाएंति सोरियस्स मच्छकंटगं गलायो नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा ताहे संता जाव जामेव दिसि पाउम्भूया तामेव दिसं पडिगया 14 / तते णं से सोरियदत्ते मच्छंधे विज-पडियारनिविराणे तेणं दुक्खेणं महया अभिभूते सुक्के जाव विहरति 15 / एवं खलु गोयमा ! सोरियदत्ते पुरापोराणाणं जाव विहरति 16 / सोरिए णं भंते ! मच्छंधे इयो य कालमासे कालं किञ्चा कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! सत्तरि वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए संसारो तहेव पुढवीयो हत्थिणाउरे गरे मछत्ताए उववजिहिति, से णं ततो मच्छिएहिं जीवियायो ववरोविए तत्थेव सेटिकुलंसि बोहिं सोह मे कप्पे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 17 / निवखेवो // सू० 28 // अट्टम अज्झयणं सोरियदत्तस्स सम्मत्तं // // इति अष्टममध्ययनम् // श्रु० १--अ० 8 // . // अथ बृहस्पतिदत्ताख्यं नवममध्ययनम् // जाणं भंते ! उक्खेवो णवमस्स, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रोहीडए नामं नगरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, पुढवीवडेंसए उज्जाणे धरणो जक्खो वेसमणदत्तो राया सिरी देवी प्रसनंदी कुमारे जुवराया, तत्थ णं रोहीडए नगरे दत्ते णामं गाहावती परिवसति अड्डे जाव अपरिभूए, कराहसिरी भारिया, तस्स णं दत्तस्स धूया कन्नसिरीए अत्तया देवदत्ता नामं दारिया होत्था बहीण जाव पंचिंदियसरीरा, जाव उकिट्ठा उकिट्ठसरीरा 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा निग्गया 2 / तेणं कालेणं तेणं समण्णं जे? अंतेवासी छट्टक्खमण तहेव जाव रायमग्गं श्रोगाढे हत्थी पासे पुरिसे पासति, तेसिं पुरिसाणं 28

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