Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 452
________________ श्रीमद्-विपाकमूत्रम् :: श्रु. 1 : अध्ययन 2 ) [434 जहण-वयण-करचरण-नयण-लावराण-विलास-कलिया ऊसियझया सहस्सलंभा विदिराण-छत्तचामर वालवीयणीया कन्नीरहप्पयाया यावि होत्था 2 / बहूणं गणियासहस्माणं याहेबच्चं जाव विहरइ 3 // सूत्रं 7 // तत्थ णं वाणियगामे विजयमिते नामं सत्थवाहे परिवसति अड्डे जाव अपरिभूते, तस्स णं विजयमित्तस्स सुभदा नाम भारिया होत्था बहीण-पुराणपंचिंदियसरीरा लक्खणवंजण-गुणोववेया, माणुम्माणप्पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंगसुदरंगी, तस्स णं विजयमित्तस्स पुत्ते सुभदाए भारियाए अत्तए उभियए नामं दारए होत्था अहीण जाव सुरूवे 1 / ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा निग्गया राया निग्गयो जहा कोणियो तहा णिग्गयो. धम्मो कहियो परिसा पडिगया, राया य गयो 2 / ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूइनामं यणगारे जाव संखित्त-विउलतेयलेसे छटुंछट्टेणं जहा पन्नत्तीए पढमाए जाव जेणेव वाणियगामे तेणेव उवागच्छति, उच्चनीयअडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव श्रोगाढे 3 / तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ सन्नद्धबद्धवम्मिय-गुडिये उपीलिय-कच्छे उहामियघंटे णाणामणि-रयणविविहगेविज-उत्तरकंचुइज्जे पडिकप्पिए झयपडाग-वरपंचामेल-पारूढ-हत्यारोहे गहियाउहप्पहरणे अन्ने य तत्थ बहवे अासे पासति सन्नद्धबद्ध-वम्मियगुडिए थाविद्ध-गुडियोसारिय-पक्खरे उत्तरकंचुइय-योचूलमुह-(चुडामहा)चंडाधरचामर-थासक-परिमंडियकडिए श्रारूढयासारोहे गहियाउहप्पहरणे अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ सराणद्ध-बद्ध-बग्मियकवए उप्पीलिय-सरासणपट्टीए पिणिद्धगेवेज्जे विमलवर-बद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे, तेसिं च णं पुरिसाणं मझगयं पुरिसं पासति अवउडगबंधणं उकित्तकन्ननासं नेहतुप्पियगत्तं बज्म-करकडि(कक्खडिय)जुयनियत्थं कंठेगुणरत्त-मल्लदामं चुराणगुडियगत्तं चुराणयं (घुराणंत) वज्झ(बझ)पाणपीयं तिलंतिलं चे छिजमाणं

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