Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 04
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 405
________________ 391] * [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विमान लद्धसद्दा समत्त-भरहाहिवा, नरिंदा, ससेल-वण-काणणं च हिमवंत-सागरंतं धीरा भूत्तुण भरहवासं जियसत्तू, परर-रायसीहा, पुव-कड-तवप्पभावा, निविठ्ठ-संचियसुहा, अणेग-वाससयमायुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुल-सह-फरिस-रस-ख्वगंधे य अणुभवेत्ता(न्ता) तेवि उवणमति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं 5 / भुज्जो भुज्जो बलदेववासुदेवा य पवरपुरिसा, महाबल-परकमा, महाधणु-वियट्टका, महासत्त-सागरा, दुद्धरा, धणुद्धरा, नरवसभा, रामकेसवा, सभायरो सपरिसा, वसुदेव-समुद्दविजयमादिय-दसाराणं पज्जुन्न-पतिव-संव-अनिरुद्ध-निसह-उम्मय-सारण-गयसुमुह-दुम्मुहादीण जायवाणं अद्भुट्टाणवि कुमारकोडीणं हिययदयिया, देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंद-हियय-भावनंदणकरा, सोलसरायवर-सहस्साणुजातमग्गा, सोलस-देवीसहस्स-वर-णयण-हिययदइया, णाणामणि-कणग-रयणमोत्तिय-पवाल-धण-धन-संचय-रिद्धि-समिद्धकोसा, हयगय-रह-सहस्ससामी, 6 / गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुहपट्टणासम-संबाह-सहस्स-थिमिय-णिज्यपमुदितजण-विविह-सास-निष्फज्जमाण मेइणि-सर-सरिय-तलाग-सेल-काणण-श्रारामुज्जाण-मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्ड-वेयड-गिरिविभत्तस्स लवण-जलहि-परिगयस्स छविहकाल-गुणकामजुत्तस्स श्रद्धभरहस्म सामिका 7 / धीरकित्तिपुरिसा, श्रोहबला, अइबला, श्रनिहया, अपराजिय-सत्तुमद्दण-रिपु-सहस्समाणमहणा, साणुकोसा, अमच्छरी, अचवला, अचंडा, मित-मंजुल-पलावा, हसिय-गंभीरमहुरभणिया, (महुपरिपुराण-सञ्चवयणा), श्रभुवगय-वच्छला, सरगणा, लक्खण-वंजण-गुणोववेया, माणुम्माण-पमाण-पडिपुन्न-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगा 8 / ससिसोमागार-कंतपियदंसणा, अमरिसणा, पयंड-डंडप्पयार-गंभीर-दरिसणिज्जा, तालद्ध-उन्विद्ध-गरुलकेऊ, बलव-गज्जत-दरित-दप्पित-मुट्ठियचाणूरमूरगा, रिट्ठ-वसभ-पातिणो, केसरिमुह-विष्फाडगा, दरितनाग

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