Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्ट- 9
अन्ने वि अत्थि भणिता अन्ने वि तस्स नियगा अन्नो निसिजति तहिं
अपरक्कमो तवस्सी अपरक्कम मि जातो
अपरक्कमो य सीसं
अपरिग्गहगणियाए
अपरिच्छणम्मि गुरुगा अपरिणतो सो जम्हा
अपरिण्णाकालादि
अपरीणामगमादी अपरीमाणे पिहब्भावे अपरीयाए वि गणो अपलिउंचिय पलिउंचियम्मि
अपवदितं तु निरुद्धे
अपव्यवित सच्छंदा पहुचंका
अपुण्णप्पो व दुवे तओ वा जे अण्णा कप्पिया तू अप्पच्चय निब्भयया अप्प डबज्झतगमो
अप्पडिले हियदोसा
अप्पत्ते अकहित्ता
अप्पत्ते कालगते
अप्पत्ते तु सुते अप्पवितियप्पततिया अप्पमलो होति सुची अप्परिहारी गच्छति
अप्पसत्थेण भावेण अप्पसुतोति व काउं
अप्पमूल
अप्पावड्ढ दुभागो
अप्पाहारग्गहणं
अप्पात सयं वा
अप्पेव जिणसिद्धे अप्फालिया जह रणे
अफरुस-अणवल-अचवल अबभचारी एसो
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अबहुस्सुते अगत्ये
अबहुस्सुते ऽगीतत्थे
अबहुस्सु न देती
अब हुस्सुते व ओमे
बहुत अगीत अबहुस्सुतोपको अब्भत्थितो व रण्णा
अब्भासकरणधम्मुब्भुयाण
अब्भासत्थं गतूण अब्भासवत्ति छंदाणुवत्तिया अब्भिंतरमललित्तो
अब्भुजतमचएंतो
अब्भुजतमेगतरं अब्ज ठाणं
अब्भुजय विहारं
अब्भुजय निच्छिओsप्प
अब्भुजय पडिवजे
अब्भुजयपरिकम्म अभुट्ठाणं अंजलि
अट्ठा गुरुमादी
अट्ठाणे आण
अब्भुट्ठियस्स पासम्मि अब्भुद वसणे वा
अब्भुवगतं च रण्णा
अब्भुवगतस्स सम्म अब्भुवगते तु गुरुणा
अब्भुवगयाए लोओ अभिघातो वा विजू
अभिणीवारी निग्गते
अभिधाणहेतुकुस अभिधारिज्जंतऽ पत्ते
अभिधारे उववण्णो
अभिधारेंत पढ़ते वा
अभिधारेंतो वच्चति
अभिनिव्वगडादी अभिभवमाणो समणं
अभिवड्डिकरणं पुण अभिसत्तो सट्टा
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