Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१२०]
परिशिष्ट-७
३. प्रायश्चित्त आदि के द्वारा अकुशल प्रवृत्ति से निवृत्त | परिहरणा–परिभोग । करना। (गा. २७३ टी. प.२८)
परिहरणा नाम परिभोगः। (गा. २३५४ टी.प.१२) पंतवण–प्रहार।
(गा. २४६४) परीसह–नापित।
(गा. १४४६) • पंताव-घूमना।
(गा. २४६६)
पलाणित्ता-घोड़े पर पलाण रखकर। पंतावण-पीटना।
(गा. ६३२ टी-प.१३०) पंतावणं नाम पिट्टनम् । (गा. ७३३ टी.प.९०)
पल्लिय-पल्ली, बस्ती।
(गा. २७३४) पचुरस-प्रत्यासन्न।
(गा. २३७१) पब्बोणि-सम्मुख ।
(गा. २७३७) पचुल्ल-प्रत्युत्।
(गा. ३३७ टी.प.५२)
पहेणग-सन्यासी को दिया जाने वाला भोजन ।(गा. ३८२१) पच्छणग-शल्यक्रिया का शस्त्र। (गा. २३२४ टी.प.६)
पाण-चांडाल जाति।
(गा. १४४८) पटिका-पात्र विशेष ।
(गा. ३८२८)
पाणंधि-आने-जाने का मार्ग। पडालिया-सार्थों का विश्रामस्थल ।
पाणंधीति देशीपदमेतद् वर्तिनीवाचकम् । पडालिका नाम यत्र मध्याह्ने सार्थिकास्तिष्ठति।।
(गा. १००० टी.प. ) (गा. ३३५१ टी.प.९०)
पाहुड-कलह । पडाली-कच्ची छत।
(गा. ३३३८)
प्राभृतं नाम कलहः। (गा २६८० टी.प.२८) पडिच्छअ-अवान्तर गण का अधिपति । (गा. २७४४)
पिल्लक कुत्ते का बच्चा। (गा. १०१५ टी.प.१२) पड्डिया-नवप्रसूता महिषी।
(गा. १३६१)
पीढमद्द–मुख पर मीठा बोलने वाला। पढमालि /पढमालिय-नाश्ता। (गा. २२६८/११२)
पीठमर्दा नाम मुखप्रियजल्पाः । (गा. २४६५ टी-प.८) पणग-१. काई।
(गा. ३४१२)
• पुंसय/पुंस्स-पोंछना। (गा. २५२६ टी.प.१४) २. पांच।
(गा. २५२२) पुत्तलिका–पुतली।
(गा. २५४६) पणताल-पैंतालीस।
(गा. ४१५)
पुरुस-कुम्भकार। पणतालीस-पैंतालीस।
(गा. ५३४)
पुरुषः कुम्भकारः। (गा. ४३१२ टी.प.६६) पणतीस-पैंतीस।
(गा. ४१४) • पुलोअ—देखना।
(गा. २३२५) पणपण्ण-पचपन।
(गा. ४१४) पेयाल-परिमाण।
(गा. १४६६) पणयाल-पैंतालीस।
(गा. ४१२)
पेयालित प्रश्न का उत्तर देना। (गा. १३८३ टी.प.७) • पणाम-अर्पित करना।
पेल्लणा–प्रेरणा। (गा. २५५३)
(गा. ६४८) पण्ण-१. पचास।
पेल्लित-प्रेरित। (गा. ४१३)
(गा. १११५) २. दुर्गन्धित ।
(गा. ८५०)
पेल्लिय—क्षिप्त, पातित। (गा. १०४५ टी.प.२०) पण्णट्ठी--पैंसठ।
पेसी-नौकरानी। (गा. ४१३)
(गा. ३२४७) पण्णास-पचास।
(गा. ४१४) पोट-बूंट।
(गा. १०३५ टी.प.१८) पतिरिक-एकान्त।
(गा. १७३६) पोट्ट-१. पुत्र।
(गा. ३३७ टी.प.५२) पद्दिया-अभिनव प्रसूता महिषी।
(गा. १३६१) २. उदर।
(गा. ४५४४) पत्रग-दुर्गन्धित।
पोट्टल-पोटली। (गा. ८४५)
(गा. ४४५०) पम्हटु-विस्मृत।
पोलि–पोटली, गठरी। (गा. ३१६)
(गा. २४५४) पम्हटू-१. परिष्ठापित, प्रक्षिप्त ।
पोतिका-वस्त्र।
(गा. ४५३७ टी.प.६२) पम्हुटुं ति परिठवियं ति एगटुं । (गा. ३५३६)
पोत्त-वस्त्र।
(गा. ३११३) पया-चूल्हा।
पोत्ती-वस्त्र।
(गा. ३७७३) पया उ चुल्ली समक्खाता। (गा. ३७१६)
पोत्तीय-वस्त्र।
(गा. ३८५३) पोयाल-सांड, वृषभ।
(गा. १०४५)
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