Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 839
________________ २४४ ] परिशिष्ट-१६ सियाल (तिर्यञ्च) सिरीसव (तिर्यञ्च) सिवकोट्ठग (मुनि) सिवा (रानी) सीह (तिर्यञ्च) सीही (तिर्यञ्च) सुगिम्हमह (उत्सव) सुणग (तिर्यञ्च) सुत्त (ग्रंथ) सुभद्दा (साध्वी) सूगर (तिर्यञ्च) सूयगड (ग्रंथ) (गा १३७७, ४४२३) (गा. ६४२) (गा. १७०५) (गा. ४४२५) (गा. ७७०) (गा. ७७२) (गा. २१३६) (गा. १६३८) (गा १८२७) (गा. ५६१) (गा. १७५१) (गा. २८६६, ४६५५) सूर (नक्षत्र) सूल (रोग) सूवकार (कर्मकर) सोडियसाला (शाला) सोत्तियसाला (शाला) सोमिल (ब्राह्मण) हत्थि (तिर्यंच) हत्थिसाला (शाला) हिमवंत (पर्वत) हिरडिक्क (यक्ष) (गा. ६८१) (गा. २३२३) (गा. ३७४०) (गा. ३७२५) (गा. ३७२३) (गा. १०७६) (गा. ७७३) (गा. ३०७१) (गा. ११२६) (गा. ३१४६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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