Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 848
________________ परिशिष्ट-२१ टीका में संकेतित नियुक्तिस्थल (टीकाकार ने अनेक स्थानों पर विविध शब्दावलि में नियुक्तिगाथा का संकेत किया है। यहां हम उन सब संदर्भो को प्रस्तुत कर रहे हैं। इनमें ब्रेकेट वाली संख्या नियुक्तिगाथा की है।) नियुक्तिकृत् - १८७ (३८), ३४५ (७७), १६४४ (२६७) १७६५. (२८२), ३३४६ (४३५) निर्युक्तेः व्यापारयति - ३६१६ (४६६) सूत्रस्पर्शिकनियुक्तिः - १८८ (३६), २०६७ (३३०) नियुक्तिमाह - २०६२ (३३१) - नियुक्तिगाथां भाष्यकारो विवृणोति -- २६१२ (४१०) नियुक्त्यवसरः - २८८० (४०५) नियुक्तिविस्तरः - ६७६ (१६३), १०५४ (१८२), १३६१ (२१५), १४८० (२३७), २०१६ (३२४), २४५० (३६४), .. २७८२ (३६८), २८८० (४०५), ३२२४ (४२४), ३३६० (४३६), ३३८५ (४३८), ३३८८ (४४१), ३५११ (४५२), ३५३८ (४५६), ३५५० (४६०), ३५६५ (४६५), ३६८५ (४७४), ३८८८ (४६३), नियुक्तिगाथासंक्षेपार्थः - ५३ (१६), ११७४ (१६७), १३६१ (२१५), २८६७ (४०८), २६०७ (४०६), २६१५ (४११), २६४१ (४१३) नियुक्तिभाष्यविस्तरः --- ८६२ (१५३), ६१६ (१५७) १२३६ (२०२), १२५० (२०४) १३५२ (२१३) भाष्यनियुक्तिविस्तरः२०३८' (३२७), २७८१ (३३५) १ भाष्यनियुक्तिविस्तरः उल्लेख होने के कारण प्रारंभिक २०३२ से २०३७ तक की छह गाथाएं भाष्य की हैं। नियुक्ति की गाथा २०३८ से शुरू होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860