Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
२५२ ]
दंड (दण्ड) दतिय (मशक)
दव्वी ( चम्मच)
दीवग (दीपक)
नंदीप डिग्गह (पात्रविशेष)
नालिया (नालिका)
पडल (भिक्षापात्र पर ढका जानेवाला वस्त्र )
पडिग्गह (पात्रविशेष)
पलियंक ( पर्यंक) पिढर (पात्र विशेष ) मत्तय (पात्रविशेष)
Jain Education International
(गा. ३-५३) (गा. ४६६ )
(गा. ३८५३) (गा. १६३६)
(गा. ३६३३)
(गा. ४४४ )
(गा. ८६४)
(गा. ११३२ )
(गा. ८६७) (गा. ३८३०) (गा. ८६४ )
मुहणंत (मुखवस्त्र) मुहपोत्तिय (मुखपोतिका)
रयणथाल (रत्नस्थाल)
रयहरण (रजोहरण) विपडिग्गह ( पात्रविशेष)
विमत्त (पात्रविशेष)
वेंटिय (बिस्तर)
संडास (संडासी)
व्विणि (सुई) सेज्जा ( शय्या)
For Private & Personal Use Only
परिशिष्ट-२०१
(गा. ४५३७ )
(गा. ८६४ )
(गा २४५२ )
(गा. ८६४)
(गा. ३६३३)
(गा ३६३३)
(गा. १२६ )
(गा. १३५२ ) (गा. ३५४६ )
(गा. १८१५)
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860