Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 844
________________ परिशिष्ट-२० [२४६ भोज आवाह (विवाह भोल) करडुयभत्त (मृतक भोज) वीवाह (विवाह-भोज) (गा. ३७३६) (गा. ३७३६) (गा. ३७३६) उज्जेणी (उज्जयिनी) (गा. ४५५७) कंचणपुर (कंचनपुर) (गा. ४२७८) कुंभकारकड (कुंभकारकृत) (गा. ४४१७) कोंकण (कोंकण) (गा. ४२६२) तगरा (तगरा) (गा. १६६४, ३६३०) दंतपुर (दंतपुर) (गा. ५१७) दसपुर (दसपुर) (गा. ३६०५) पोयणपुर (पोतनपुर) (गा. १०८१) भरुयच्छ (भरुकच्छ) (गा. १४१४) मधुरा (मथुरा) (गा. ११२६, २३३०) नदी एवं पर्वत कसेरु (कसेरु) (गा. १४१५ टी. प. १५) गंगा (गंगा) (गा. २५५४) गोदावरी (गोदावरी) (गा. ११२८) मेरु (सुमेरु) (गा.'४३५२) मोग्गल्ल (मोग्गल्ल) (गा. ४४२३) हिमवंत (हिमालय) (गा. ११२६) ___मंत्री खंडकण्ण (खंडकर्ण) खरग (खरक) चाणक्क (चाणक्य) पालक्क (पालक) विण्हु (विष्णु) (गा. ७८४) (गा. ११३०) (गा. ४४२०) (गा. ४४१७) (गा. ३३७८) मल्ल अट्टण (अट्टन) आसकिसोर (अश्वकिशोर) फलही (फलही) मच्छिय (मासिक) लंखग (लेखक) साहस्सी (साहस्री) (गा. ३८४०) (गा. ७८३) • (गा. ३८४०) (गा, ३८४०) (गा. ७८३) (गा. १५३६) परिव्राजक एवं संन्यासी अट्ठिसरक्ख (कापालिक) कुंचिय (तापस) गोट्ठामाहिल (गोष्ठामाहिल) चरग (चरक) तच्चण्णिय (बौद्ध साधु) प्रतिमा जवमज्झचंदपडिमा (यवमध्यचंद्रप्रतिमा) वइरमज्झचंदपडिमा (वज्रमध्यचंद्रप्रतिमा) मोयपडिमा (मोकप्रतिमा) (गा. ३३१६) (गा. ३२४) (गा. २७१३) (गा. ११३६) (गा. २७१३) महासती मिगावती (मृगावती) सुभद्दा (सुभद्रा) (गा. ५६१) (गा. ५६१) मुद्रा (गा. ३८३३) | (गा. ३८३३) (गा. ३७६०) उंडिय (मुद्रा) मासय (माषक) (गा. २६४२) (गा. ४८१) ब्राह्मण कविल (कपिल) मरुग (मरुक) मूलदेव (मूलदेव). सोमिल (सोमिल) (गा. २६३८) (गा. ४५४-४५७, २५४२) (गा. ४५२) (गा. १०७६) अज्जास (अर्यास) अरहन्नक (अर्हन्त्रक) अवंतीसुकुमाल (अवंतीसुकुमाल) कालायसवेसित (कालास्यवैशिक) (गा. १७०५) (गा. १७०५) (गा. ४४२५) (गा. ४४२३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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