Book Title: Agam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Author(s): Sanghdas Gani, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 671
________________ [७६. परिशिष्ट-४ प्र.गाथा सं.गाथा प्र.गाथा सं.गाथा प्र.गाथा सं.गाथा प्र.गाथा सं.गाथा २३८ २३६ ४२० ४२१ २७३ २७४ ४५४ ४५५ ३०८ ३०६ ४८६ ४६० ४६१ २४० ४२२ २७५ ४५६ ३१० له ४२३ ३४२ ३४३ ३४४ ३४५ ३४६ ३४७ २७६ ४५७ ४६२ له ५२५ ५२६ ५२७ ५२८ ५२६ ५३० ४२४ २७७ WW. ococc ४६३ ४६४ له ३११ ३१२ ३१३ ३१४ ३१५ ३१६ له ४६५ ४६६ २८० ४५८ ४५६ ४६० ४६१ ४६२ ४६३ ४६४ ४६५ २८१ ३४६ ३५० ४६७ ४६८ ३५१ ४६६ ३५२ २४६ ४३० ३१७ ३१८ ३१६ ४६६ ३४६ له ४६७ ५०१ ५०२ ५०३ ३२० ३२१ ३२२ ३५० ३५१ ५३४ ५३४/१ ५३५ ५३६ ५३७ ५३८ ५३६ س ४६८ ५०४ ४६६ ४७० ४७१ ३२३ ३२४ ३२५ ५०५ ५०६ ४३६ ५४० ४७२ ५०७ ५४१ ३५३ ३५४ ३५५ ३५६ ३५७ त ४२५ २७८ ४२६ २७६ ४२७ २४६ ४२८ २४७ ४२६ २८२ २४८ ४२६/१ २८३ २८४ २५० २५१ २५२ २५३ ४३४ | २८८ २५४ ४३५ २८६ २५५ २६० २५६ २६१ २५७ २६२ २५८ २६३ २६४ २६० ४४१ २६५ २६१ ४४२ २६६ २६२ ४४३ २६७ ४४४ २६८ २६४ ४४५ ૨૬૬ २६५ ३०० २६६ ४४७ २६७ ४४८ ३०२ ३०३ २६६ ३०४ ३०५ २७१ ४५२ ३०६ २७२ ४५३ । ३०७ १. मुद्रित टीका में ३४६-३५३ तक की संख्या पुनरुक्त हुई है। ५४२ cxc oc www ३२७ ५०८ ५०६ ५१० ५४३ २५६ ३५८ ५४४ ५११ ३५६ ५४५ ५१२ ३६० ५४६ ५१३ ५४७ ४७३ ४७४ ४७५ ४७६ ४७७ ४७८ ४७६ ४८० ४८१ ४८२ ४८३ ४८४ २६३ ३२६ ३३० ३३१ ३३२ ३३३ ३३४ ३३५ ३६१ ३६२ ५४८ ३६३ ५१४ ५१५ ५१६ ५१७ ३६४ ३०१ ३६५ ३६६ २६८ ४४६ ४५० ५४६ ५५० ५५१ ५५२ ५५३ ५५४ ५५५ ५५६ ५५७ ४८५ ३३७ ३३८ ३३६ α ३६७ ३६८ ३६६ ३७० २७० ४५१ ४८६ α ५२१ ५२२ ४५७ ३४० α ४८८ ३४१ ५२३ ३७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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