Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04  Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ अनु. विषय पाना नं. ७८ ८७ १८ लेश्या हे वार्याष्ठा नि३पारा १८ लेश्या ठे रसपरिशाभ नि३पारा २० लेश्या हे गंधपरिरशाभ ठा नि३पाश २१ लेश्या तु परियाभद्वार छा ज्थन २२ तेश्या हे स्थान छा नि३पारा ८ ૯પ ८७ पांयवा देश २३ लेश्या तु परिराभन ठा नि३पारा १०५ छठा शिष्ठ २४ भनुष्याटिठों में वेश्यासंज्या छा नि३पारा ११० अठारहवां डायस्थितिपक्ष २५ अधिष्ठार संग्रहा थन २६ छवाहिछायस्थिति ठा नि३पारा २७ छवों ठे सेन्द्रियपने छा नि३पारा २८ ठायद्वार छा नि३पाया २८ सूक्ष्मष्ठायस्थिति छा नि३पारा उ० योगद्वार ठा नि३पारा उ१ वेद्वार डा नि३पा ३२ षायद्वार ठा नि३पारा 33 लेश्यावालेछवों लेश्याठाल ठा नि३पारा उ४ सभ्यत्ववाले छवों ठेसभ्यता छा नि३पारा उ५ ज्ञानद्वार ठा नि३पारा उ६ हर्शनद्वार छा नि३पाए उ७ संयतद्वार छा ज्थन 3८ आहारद्वार छा नि३पारा 3८ भाषाद्वार ठा नि३पारा ૧૧પ ૧૧૭ ૧૨૧ ૧૨૬ ૧૨૯ ૧૩૬ ૧૩૮ ૧૪૨ ૧૪૫ १४८ ૧૫૦ ૧પ૪ ૧પ૬ ૧પ૮ ૧૬૧ श्री प्रशान। सूत्र:४

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