Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman Publisher: Global Jain Agam Mission View full book textPage 8
________________ २७ 13 ७ ९ १० सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंधो १ आघायं पुण एगेसिं, उववण्णा पुढो जिया । वेदयंति सुहं दुक्खं, अदुवा लुप्पंति ठाणओ ॥ 2 ण तं सयंकडं दुक्खं, कओ अण्णकडं च णं । सुहं वा जइ वा दुक्खं, सेहियं वा असेहियं ॥ ११ संसारचक्कवालम्मि, वाहि-मच्चु-जराकुले ॥ उच्चावयाणि गच्छंता, गब्भमेस्संतऽणंतसो । णायपुत्ते महावीरे, एवमाह जिणोत्तमे ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ पढमो उद्देसो समत्तो ॥ बीओ उद्देसो ण सयं कडं ण अण्णेहिं, वेदयंति पुढो जिया । संगइयं तं तहा तेसिं, इहमेगेसिमाहियं ॥ एवमेयाई जंपंता, बाला पंडियमाणियो । णिययाऽणिययं संतं, अयाणंता अबुद्धिया ॥ एवमेगे उ पासत्था, ते भुज्जो विप्पगब्भिया । एवं उवट्ठिया संता, ण ते दुक्खविमोक्खया ॥ जविणो मिगा जहा संता, परियाणेण वज्जिया । असंकियाई संकंति, संकियाइं असंकिणो ॥ परियाणियाणि संकंता, पासियाणि असंकिणो । अण्णाणभयसंविग्गा, संपलिंति तहिं तहिं ॥ अह तं पवेज्ज वज्झं, अहे वज्झस्स वा वए । मुच्चेज्ज पयपासाओ, तं तु मंदे ण देहइ ॥ अहियप्पाऽहियपण्णाणे, विसमंतेणुवागए । से बद्धे पयपासेहिं, तत्थ घायं णियच्छइ ॥ एवं तु समणा एगे, मिछाद्दिट्ठी अणारिया । असंकियाई संकंति, संकियाइं असंकिणो ॥ धम्मपण्णवणा जा सा, तं तु संकंति मूढगा । आरंभाई ण संकंति, अवियत्ता अकोविया ॥ 4Page Navigation
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