Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 68
________________ सुयगडांग सूत्र - बीओ सुयखंधो ॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥ बीअं अज्झयणं किरियाठाण सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु किरियाठाणे णाम अज्झयणे, तस्स णं अयमद्वे- इह खलु संजूहेणं दुवे ठाणा एवमाहिज्जंति, तं जहा- धम्मे चेव, अधम्मे चेव, उवसंते चेव अणुवसंते चेव । तत्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभंगे तस्स णं अयमद्वे- इह खलु पाईणं वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा संतेगइया मणुस्सा भवंति, तं जहा- आरिया वेगे, अणारिया वेगे, उच्चागोया वेगे, णीयागोया वेगे, कायमंता वेगे, हस्समंता वेगे, सुवण्णा वेगे, दुवण्णा वेगे, सुरूवा वगे, दुरूवा वेगे | तेसिं च णं इमं एयारूवं दंडसमादाणं संपेहाए, तं जहा- णेरइएसु तिरिक्ख- जोणिएसु माणुसेसु देवेसु जे यावण्णे तहप्पगारा पाणा विण्णू वेयणं वेयंति । तेसि पि य णं इमाइं तेरस किरियाठाणाइं भवंतीति मक्खायं, तंजहा- अट्ठादंडे अणट्ठादंडे, हिंसादंडे, अकम्हादंडे, दिद्विविपरियासियादंडे, मोसवत्तिए, अदिण्णादाणवत्तिए, अज्झत्थवत्तिए, माणवत्तिए, मित्तदोसवत्तिए, मायावत्तिए, लोभवत्तिए, इरियावहिए | पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिए त्ति आहिज्जइ । से जहाणामए केइ पुरिसे आयहेडं वा णायहेउं वा अगारहेउं वा परिवारहेउं वा मित्तहेउं वा णागहेउं वा भूयहेउं वा जक्खहेउं वा तं दंडं तसथावरेहिं पाणेहिं सयमेव णिसिरइ, अण्णेण वि णिसिरावेइ, अण्णं पि णिसिरंतं समणुजाणइ, एवं खु तस्स तप्पत्तियं सावज्जे त्ति आहिज्जइ । पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिए त्ति आहिए | अहावरे दोच्चे दंडसमादाणे अणट्ठादंडवत्तिए त्ति आहिज्जइ । से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे तसा पाणा भवंति ते णो अच्चाए णो अजिणाए णो मंसाए णो सोणियाए णो हिययाए णो पित्ताए णो वसाए णो पिच्छाए णो पुच्छाए णो बालाए णो सिंगाए णो विसाणाए णो दंताए णो दाढाए णो णहाए णो ण्हारुणिए णो अट्ठीए णो अद्विमिंजाए, णो हिंसिंस मे त्ति, णो हिंसंति मे त्ति, णो हिंसिस्संति मे त्ति, णो पुत्त-पोसणयाए णो पसुपोसणयाए णो अगारपरिवूहणयाए णो समण-माहणवत्तणाहेङ, णो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवइ, से हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुपइत्ता उद्दवइत्ता उज्झिउं बाले वेरस्स आभागी भवइ, अणट्ठादंडे। से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे थावरा पाणा भवंति, तं जहा- इक्कडा इ वा कडिणा इ वा जंतुगा इ वा परगा इ वा मोरका इ वा तणा इ वा कुसा इ वा कुच्छगा इ वा पव्वगा ति वा 64

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