Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 71
________________ १६ १७ १८ सुयगडांग सूत्र - बीओ सुयखंधो अहावरे एक्कारसमे किरियाठाणे मायावत्तिए त्ति आहिज्जइ । जे इमे भवंति गूढायारा तमोकसिया उलूगपत्तलहुया, पव्वयगुरुया, ते आरिया वि संता अणारियाओ भासाओ पउंजंति, अण्णहा संतं अप्पाणं अण्णा मण्णंति, अण्णं पुट्ठा अण्णं वागरेंति, अण्णं आइक्खियव्वं अण्णं आइक्खंति । से जहाणामए केइ पुरिसे अंतोसल्ले तं सल्लं णो सयं णिहरड़, णो अण्णेण णिहरावेइ णो पडिविद्धंसेइ एवमेव णिण्हवेइ, अविउट्टमाणे अंतो- अंतोरियाई [झियाइ], एवमेव माई मायं कट्टु णो आलोएइ णो पडिक्कमइ णो जिंदइ णो गरिहइ णो विउट्टइ णो विसोहेइ णो अकरणया अब्भुट्ठेइ णो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जइ, माई अस्सिं लोए पच्चायाइ, माई परंसि लोए पुणो-पुणो पच्चायाइ, जिंदइ, गरिहइ, पसंसइ, णिच्चरइ, ण णियदृइ, णिसिरियं दंड छाएइ, माई असमाहडसुहलेस्से यावि भवइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जं त्ति आहिज्जइ । एक्कारसमे किरियाठाणे मायावत्तिए त्ति आहिए । अहावरे बारसमे किरियाठाणे लोभवत्तिए त्ति आहिज्जइ, तं जहा- जे इमे भवंति आरण्णिया आवसहिया गामंतिया कण्हुईरहस्सिया, णो बहुसंजया, णो बहुपडिविरया सव्वपाण- भूय- जीवसत्तेहिं; ते सच्चामोसाइं एवं विउंजंति- अहं ण हंतव्वो अण्णे हंतव्वा, अहं ण अज्जावेयव्वो अण्णे अज्जावेयव्वा, अहं ण परिघेत्तव्वो अण्णे परिघेत्तव्वा, अहं ण परितावेयव्वो अ परितावेयव्वा, अहं ण उद्दवेयव्वो अण्णे उद्दवेयव्वा, एवामेव ते इत्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववण्णा जाव वासाई चउपंचमाई छद्दसमाई अप्पयरो वा भुज्जयरो वा भुंजित्तु भोगभोगाइं कालमासे काल किच्चा अण्णयरेसु आसुरिएसु किव्विसिएस ठाणेसु उववत्तारो भवंति, तओ विप्पमुच्चमाणा भुज्जो - भुज्जो एलमूयत्ताए [तमूयत्ताए जाइमूयत्ताए ] पच्चायंति, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जे त्ति आहिज्जइ । दुवालसमे किरियाठाणे लोभवत्तिए त्ति आहिए । इच्चेयाइं दुवालस किरियाठाणाइं दविएणं समणेणं वा माहणेण वा सम्मं सुपरिजाणियव्वाइं भवइ । अहावरे तेरसमे किरियाठाणे इरियावहिए त्ति आहिज्जइ, इह खलु अत्तत्ताए संवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स भासासमियस्स सणास मयस्स आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमियस्स उच्चार- पासवण खेल-सिंघाण जल्ल-पारिट्ठावणियासमियस्स मणसमियस्स वइसमियस्स कायसमियस्स मणगुत्तस्स वइगुत्तस्स कायगुत्तस्स [गुत्तस्स] गुत्तिंदियस्स गुत्तबंभयारिस्स आउत्तं गच्छमाणस्स आउत्तं चिट्ठमाणस्स आउत्तं णिसीयमाणस्स आउत्तं तुयट्टमाणस्स आउत्त भुंजमाणस्स आउत्तं भासमाणस्स आउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गिण्हमाणस्स वा णिक्खिवमाणस्स वा जाव चक्खुपम्ह- णिवायमवि अत्थि वेमाया सुहुमा किरिया इरियावहिया णामं कज्जइ, सा पढमसमए बद्धा पुट्ठा, बिईयसमए वेइया, तइयसमए णिज्जिण्णा, सा बद्धा पुट्ठा उदीरिया वेड्या णिज्जिण्णा सेकाले अकम्मा यावि भवइ । एवं खलु तप्पत्तियं असावज्जे त्ति आहिज्जइ ।तेरसमे किरियाठाणे इरियावहि त्ति आहिए । 67

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