Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 18
________________ ११ अदक्खुव दक्खुवाहियं, सद्दहसु अद्दक्खुदंसणा । हंदि हु सुणिरुद्धदंसणे, मोहणिज्जेण कडेण कम् १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ सुयगडांग सूत्र - पढमो सुखंध २२ ॥ दुक्खी मोहे पुणो पुणो, णिव्विंदेज्ज सिलोग पूयणं । एवं सहिएऽहिपासए, आयतुलं पाणेहिं संजए || गारं पि य आवसे रे, अणुपुव्वं पाणेहिं संजए । समया सव्वत्थ सुव्वए, देवाणं गच्छे सलोगयं ॥ सोच्चा भगवाणुसासणं, सच्चे तत्थ करेज्जुवक्कमं । सव्वत्थ विणीयमच्छरे, उंछं भिक्खु विसुद्धमाहरे || सव्वं णच्चा अहिट्ठए, धम्मट्ठी उवहाणवीरिए । गुत्ते जुत्ते सयाजए, आय- परे परमायतट्ठिए || वित्तं पसवो य णाइओ, तं बाले सरणं ति मण्णइ । एते मम तेसिं वा अहं, णो ताणं सरणं च विज्जइ ॥ अब्भागमियम्मि वा दुहे, अहवोवक्कमिए भवंति । एगस्स गई य आगई, विउमंता सरणं ण मण्णइ ॥ सव्वे सयकम्मकप्पिया, अवियत्तेण दुहेण पाणिणो । हिंडंति भयाउला सढा, जाई-जरा-मरणेहिऽभिद्दुया || इणमेव खणं वियाणिया, णो सुलभं बोहिं च आहियं । एवं सहिएऽहिपासए, आह जिणो इणमेव सेसा ॥ अभविंसु पुरा वि भिक्खुवो, आएसा वि भवंति सुव्वया । एयाइं गुणाइं आहु ते, कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥ तिविहेण वि पाण मा हणे, आयहिए अणियाण संवुडे । एवं सिद्धा अणंतगा, संपइ जे य अणागयाऽवरे ॥ एवं से उदाहु अणुत्तरणाणी अणुत्तरदंसी अणुत्तरणाणदंसणधरे । अरहा णायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ तइओ उद्देसो समत्तो ॥ ॥ बीअं उज्झयणं समत्तं ॥ 14

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